Recent Airstrikes in Myanmar by Myanmar Army: करीब 2 साल की तनावभरी शांति के बाद म्यांमार में हालात एक बार फिर बिगड़ गए हैं. वहां पर सेना विरोधी मिलिटेंट ग्रुप्स ने कई इलाकों में सैन्य चौकियों पर कब्जा कर लिया है, जिसके बाद उन क्षेत्रों मे म्यांमार प्रशासन का अधिकार खत्म हो गया है. उन इलाकों को दोबारा से अपने कंट्रोल में लाने के लिए म्यांमार की सेना अब ताबड़तोड़ एयरस्ट्राइक कर रही है. जिसके चलते वहां से हजारों लोग जान बचाने के लिए भारत की सीमा में घुस रहे हैं. वे मिजोरम को अपना रहने का ठिकाना बना रहे हैं. वहां पर पहले से हजारों शरणार्थी शरण लिए हुए हैं. 


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9 महीने के बच्चे के साथ भागना पड़ा


म्यांमार से जान बचाकर आई एस्तेर भी ऐसी ही एक शरणार्थी हैं. अपने 9 महीने के बच्चे के साथ एस्तेर लालपेकमावी ने वर्तमान में मिजोरम के चम्फाई जिले के ज़ोखावथर इलाके में शरण ले रखी है. हाल ही में म्यांमार की सेना ने भारत-म्यांमार सीमा के पास के एक गांव में हवाई हमले किए थे, जिसमें काफी लोग मारे गए. जबकि काफी लोग बुरी तरह घायल हो गई. उस घटना को याद करके एस्तेर आज भी डर जाती हैं. 


12 नवंबर से शुरू हुई बमबारी


वे बताती हैं, मेरे गांव पर बमबारी 12 नवंबर को शुरू हुई थी. जब हमने एक बम विस्फोट और हमारे घर पर कुछ टुकड़े गिरने की आवाज़ सुनी, तो हमने तुरंत अपना घर बंद कर दिया. इसके तुरंत बाद अपने 9 महीने के बच्चे और कुछ कपड़ों के साथ वहां से जान बचाने के लिए भाग लिए. इसके बाद नदी पार करके मिजोरम के जोखावथर इलाके में प्रवेश किया. 


भारतीय सुरक्षाबलों ने की मदद


एस्तेर लालपेकमावी कहती हैं, हम बुरी तरह डरे हुए थे. हमले में मेरा घर पूरी तरह बर्बाद हो गया था. उस अटैक में हमने सब कुछ खो दिया. अब हमारे पास कुछ भी नहीं है. हमें नहीं पता कि हम कैसे रहेंगे. हम अभी भी अपने गांव वापस जाने से डर रहे हैं क्योंकि मौजूदा स्थिति अच्छी नहीं है. एस्तेर ने कहा, हम यहां बहुत शांति से रह रहे हैं.


उन्होंने यह भी कहा, 'जब हमने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार की, तो भारतीय सुरक्षाकर्मियों और पुलिस ने हमें सुरक्षा दी और जोखावथर में प्रवेश करने की अनुमति दी. हम स्थानीय पुलिस, प्रशासन, गैर सरकारी संगठनों, वाईएमए और ग्राम परिषद के आभारी हैं जो हमारी मदद कर रहे हैं.'


म्यांमार सेना ने की एयर स्ट्राइक


ऐसी ही कहानी म्यांमार की नागरिक और एक बच्चे की मां लालदिनथारी ने बताई. उन्होंने बताया कि वह अपने परिवार के साथ 13 नवंबर को ज़ोखावथर आई थीं. उन्होंने कहा, "मेरी मां बीमार हैं. वह तेजी से चल नहीं सकती हैं. जब बमबारी शुरू हुई तो हम डर गए. हमने अपना घर और सारा सामान छोड़ा और तुरंत भागने का फैसला कर लिया. हम नदी पार करके यहां आए. जब ​​हम यहां आए, तो हमारे पास कुछ भी नहीं था लेकिन गैर सरकारी संगठनों, प्रशासन और वाईएमए ने हमें भोजन और आश्रय प्रदान किया.


वे बताती हैं, मेरा पांच सदस्यीय परिवार है. मैं एक बच्चे की मां हूं. हम कपड़े और अन्य घरेलू सामान नहीं ला सके क्योंकि हमें अपने बच्चे और अपनी जान बचाने के लिए अचानक भागना पड़ा. हम अभी भी डरे हुए हैं. हम नहीं जानते कि आगे हमारे साथ क्या होगा.' 


करीब 5 हजार लोगों ने ली शरण


म्यांमार से भागकर आए शरणार्थियों के लगभग 90 परिवारों ने फिलहाल जोखावथार के धीबा शरणार्थी शिविर में शरण ले रखी है. वह मिजोरम के चम्फाई जिले का सीमावर्ती गांव है. अगर पूरे मिजोरम की बात करें तो म्यांमारी सेना के हालिया हमलों के बाद करीब 5000 लोग सीमा परकके चम्फाई जिले के ज़ोखावथर क्षेत्र में शरण ले चुके हैं. वहां पर उन्हें रहने के लिए अस्थाई तंबू, कपड़े, भोजन और दवाएं मुहैया करवाई जा रही हैं. 


भारत ने हालात पर जताई चिंता


म्यांमार में विद्रोहियों की ओर से भारत के साथ लगती सीमा पर अधिकार करने की कोशिशों पर भारत ने चिंता जताई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा, हम अपनी सीमा के करीब ऐसी घटनाओं से बेहद चिंतित हैं. म्यांमार में चल रही स्थिति पर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है. हम सभी पक्षों में आपसी बातचीत के जरिए हिंसा को खत्म करना और स्थिति का समाधान चाहते हैं. 


लोकतंत्र की वापसी का आह्वान


बागची ने कहा, 'हम म्यांमार में शांति, स्थिरता और लोकतंत्र की वापसी के लिए अपना आह्वान दोहराते हैं. वर्ष 2021 में म्यांमार में हिंसा का दौर शुरू होने के बाद बड़ी संख्या में म्यांमार के नागरिकों ने भारत में शरण ली थी. हमारे सीमावर्ती राज्यों के स्थानीय अधिकारी मानवीय आधार पर स्थिति को उचित रूप से संभाल रहे हैं.'


(एजेंसी ANI)