Vladimir Putin: यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन ने वर्ल्ड वॉर II के पैटर्न पर चली ऐसी चाल, अनहोनी की आशंका से डरे लोग
Russia Ukraine War: रूस यूक्रेन युद्ध में बात हथियारों से निकलकर प्राकतिक संसाधनों को चोट पहुंचाने तक पहुंच गई है. इस युद्ध की बलि चढ़ गए एक बांध की विनाशलीला ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है.
Russia-Ukraine war live updates, Kakhovka dam collapse: रूस और यूक्रेन के बीच एक कखोवका बांध (Kakhovka dam) को लेकर मची तकरार थमने का नाम नहीं ले रही है. दोनों इसे बर्बाद करने का आरोप एक-दूसरे पर लगा रहे हैं. ऐसे में अब ये जानना जरूरी हो जाता है कि ये डैम कहां है? ये कब बना? इसके टूटने की तबाही रूस-यूक्रेन युद्ध को किस मोड़ पर ले जाएगी? इन सवालों के बीच अगर यूक्रेन के दावों को थोड़ी देर के लिए सच मान लिया जाए तो अगर ये काम रूस का है तो उसने वर्ल्ड वार-II के पैटर्न पर ये दांव चला है. वहीं अगर रूस के दावे को सच मान लिया जाए कि बांध, यूक्रेन ने विक्टिम कार्ड खेलने के लिए तोड़ा है तो इसके पक्ष में पुतिन का प्रशासन संयुक्त राष्ट्र संघ में पुख्ता सबूत पेश कर रहा है.
पुतिन ने ब्रिज तोड़ने का बदला बांध तोड़कर लिया?
अक्टूबर 2022 में जब यूक्रेन ने समंदर में रूस की ताकत के प्रतीक क्रीमिया ब्रिज को तबाह कर दिया था तब इस वार से तिलमिलाए पुतिन ने इसे आतंकी हमला बताते हुए अपने ब्रिज को तोड़ने का आरोप यूक्रेन की सीक्रेट सर्विस एजेंसी पर लगाया था. अब यूक्रेन के इस बांध के टूटने के बाद कहा जा रहा है कि पुतिन ने अपना बदला ले लिया है, क्योंकि 8 महीने बाद जेलेंस्की ने इसे आतंकी हमले जैसा कृत्य कहा है. नीपर (Dnipro) नदी पर बने इस बांध के टूटने से यूक्रेन में बाढ़ की विभीषिका देखने को मिल रही है. अबतक करीब 45 हजार लोगों को सुरक्षित ठिकानों की ओर भेजा गया है.
परमाणु अनहोनी का खतरा
दक्षिणी यूक्रेन के वार जोन में बहने वाली नीपर नदी रूसी और यूक्रेन की सीमा को अलग करती है. इसके नियंत्रित पानी से दक्षिणी यूक्रेन में खेती होती है. इसी डैम के पानी से रूस के कब्जे वाले जापोरीझिया परमाणु संयंत्र को ठंडा रखा जाता है. इसलिए डैम के टूटने के बाद यहां पर परमाणु त्रासदी यानी बड़ी अनहोनी की आशंका बढ़ गई है. जापोरिज्जिया यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है. यूक्रेन के पनबिजली संचालक ने कहा कि बांध से जुड़ा बिजलीघर नष्ट हो गया है. वहीं केमिकल और तेल के नदी में गिरने से पर्यावरण को भी बड़ा खतरा हो गया है.
कब और कैसे हुआ निर्माण
नीपर नदी पर भविष्य की जरूरतों को समझते हुए एक पावर प्लांट का निर्माण हुआ था. हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट के हिस्से के रूप में इस बांध को 1956 में बनाया गया था. इस हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट के निर्माण कार्य की शुरुआत सोवियत रूस के तानाशाह जोसेफ स्टालिन ने की थी पर इसका निर्माण ख्रुश्चेव के समय पूरा हुआ.
दूसरे विश्व युद्ध की तर्ज पर तोड़ा बांध
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत रूस ने नाजी सेनाओं को रोकने के लिए ऐसे ही एक बांध की कुर्बानी दी थी. नीपर नदी पर बना वो बांध सोवियत रूस की ताकत का प्रतीक था. तब इसे लेनिन डैम के नाम से जाना जाता था. इस बांध से एक पावर प्लांट को पानी मिलता था. लेकिन 1941 में जब नाजी सेना सोवियत रूस को घेरने के लिए आगे बढ़ी तो 28 अगस्त 1941 को स्टालिन ने देश की रक्षा के नाम पर इस बांध को गिराने का आदेश दे दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिटलर की सेना सोवियत रूस के दरवाजे तक आ गई थी. अगर हिटलर की सेना के हाथ ये डैम लग जाता तो रूस की हार तय थी. इसलिए हालात की गंभीरता को समझते हुए स्टालिन ने इस बांध को तोड़कर हिटलर के मंसूबों पर पानी फेर दिया था.
तब एक लाख लोगों की मौत हुई थी और अब?
स्टालिन ने जब बिना किसी चेतावनी के बांध को उड़ा दिया तब बांध के ढहने से पानी की चपेट में आकर 1 लाख लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि इस सुसाइडल प्लान में रूसी सेना के भी सैकड़ों लोग मारे गए थे. ऐसे में अब जब 82 साल बाद वही इतिहास दोहराया गया है तो मौत के आंकड़ों पर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक 24 फरवरी 2022 से 21 मई 2023 तक रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में 15117 नागरिकों की मौत हो चुकी है. पश्चिमी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस और यूक्रेन दोनों देशों को इससे कहीं ज्यादा जनहानि का सामना करना पड़ा है.