Russia Presidential Election: व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. यह एक ऐसा चुनाव नतीजा जिसके बारे सब पहले से ही जानते थे. जीत के बाद दिए अपने पहले ही भाषण में पुतिन ने पश्चिम का आंखें दिखा दी है. इस भाषण में उन्होंने यूक्रेन युद्ध, रूसी सेना का जिक्र किया है. ऐसा लगता है कि यूक्रेन युद्ध को लेकर उनका रवैया और सख्त हो सकता है.


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रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक चुनावी जीत के बाद पुतिन ने यह स्पष्ट कर दिया कि नतीजे से पश्चिम को एक संदेश जाना चाहिए कि उसके नेताओं को एक साहसी रूस के साथ समझौता करना होगा, चाहे वह युद्ध में हो या शांति में.


पुतिन ने मॉस्को में एक विजय भाषण में समर्थकों से कहा कि वह यूक्रेन में रूस के 'स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन' से जुड़े कामों को हल करने को प्राथमिकता देंगे और रूसी सेना को मजबूत करेंगे.


'जब हम एकजुट होते हैं'
पुतिन ने कहा, 'हमारे सामने कई काम हैं. लेकिन जब हम एकजुट होते हैं तो इतिहास बताता है कि कोई भी हमें डराना दबाने में सफल नहीं हुआ और  भविष्य में भी सफल नहीं होगा.'


रूसी लोगों को कहा धन्यवाद
पुतिन ने अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल करने में रूसी लोगों के सामूहिक कोशिश की तारीफ की. उन्होंने कहा, 'मैं रूस के सभी नागरिकों को धन्यवाद देना चाहता हूं, क्योंकि हम एक टीम हैं.' उन्होंने कहा, 'देश में शक्ति का स्रोत रूसी लोग और रूस के प्रत्येक नागरिक की आवाज हैं.'


शुरुआती आधिकारिक नतीजे
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पोलस्टर पब्लिक ओपिनियन फाउंडेशन (एफओएम) के एक एग्जिट पोल के मुताबिक, पुतिन ने 87.8% वोट हासिल किए, जो रूस के सोवियत इतिहास के बाद का सबसे बड़ा परिणाम है. रशियन पब्लिक ओपिनियन रिसर्च सेंटर (वीसीआईओएम) ने पुतिन को 87% पर रखा है. शुरुआती आधिकारिक नतीजों ने संकेत दिया कि चुनावी सर्वे सटीक थे. रूस के चुनाव आयोग ने कहा है कि अब तक 98 प्रतिशत क्षेत्रों के मतों की गणना की गई है जिनमें पुतिन को 87 फीसदी वोट मिले हैं.


चुनाव पर उठाए पश्चिम ने सवाल
हालांकि इस चुनाव की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. एपी के मुताबिक रूस में तीन दिवसीय राष्ट्रपति चुनाव बेहद नियंत्रित माहौल में पूरा हुआ. चुनाव में पुतिन या फिर यूक्रेन युद्ध की आलोचना तक की इजाजत नहीं थी. पुतिन के ज्यादातर आलोचक या तो जेल में है या फिर जेल में. पुतिन के सबसे बड़े विरोधी एलेक्सी नवलनी की मौत पिछले महीने एक रूसी जेल में हो गई.


संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम और अन्य देशों ने कहा है कि राजनीतिक विरोधियों की कैद और सेंसरशिप के कारण चुनाव न तो स्वतंत्र था और न ही निष्पक्ष.