Russian Foreign Minister Sergey Lavrov: रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक बार फिर भारत की प्रशंसा की है.  आर्थिक शक्ति के नए केंद्रों के विकास, और प्रभाव पर विस्तार बात करते हुए उन्होंने कहा कि चीन और भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ के सदस्यों से कई मायनों में आगे हैं.


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अमेरिका पर तीखा प्रहार करते हुए लावरोव ने इरिट्रिया में एक ज्वाइंट न्यूज कॉन्फ्रेंस में अपने संबोधन में कहा कि बहु-ध्रुवीय दुनिया की स्थापना एक उद्देश्यपूर्ण और अजेय प्रक्रिया है और पूरी तरह से वाशिंगटन द्वारा नियंत्रित पश्चिम, जिसमें नाटो और यूरोपीय संघ शामिल हैं,  इस प्रक्रिया को उलटने की कोशिश कर रहा है  लेकिन ये प्रयास व्यर्थ हैं.


'चीन और भारत जैसे देश पहले से'
लावरोव ने कहा, ‘पश्चिम के देश हाइब्रिड युद्ध (यूक्रेन सहित) के जरिए भारत और चीन जैसे देशों की आर्थिक शक्ति, वित्तीय और राजनीतिक प्रभाव और इनके विकास को रोक नहीं सकते. चीन और भारत जैसे देश पहले से ही यूएसए और यूरोपीय संघ के सदस्यों से कई मामलों में कई कदम आगे हैं.’


लावरोव ने तुर्की, मिस्र, फारस की खाड़ी के देशों, ब्राजील और अन्य लैटिन अमेरिकी देशों को बहु-ध्रुवीयता के भावी केंद्र बताते हुए कहा कि ये वर्तमान समय में प्रभावशाली और आत्मनिर्भर केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं.


इरिट्रिया में संयुक्त समाचार सम्मेलन के दौरान, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने घोषणा की कि 15वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन इस साल अगस्त के अंत में दक्षिण अफ्रीका के डरबन में होने वाला है.


'यह संगठन पांच देशों को एकजुट करता है'
लावरोव ने ब्रिक्स को वैश्विक बहु-ध्रुवीयता की अभिव्यक्ति बताया. उन्होंने कहा, ‘यह संगठन पांच देशों को एकजुट करता है, जिसमें 12 से अधिक अन्य लोग इसमें शामिल होने में रुचि दिखा रहे हैं. ब्रिक्स और अन्य देशों के बीच संबंध विकसित करना आगामी शिखर सम्मेलन का एक केंद्रीय विषय होगा जो अगस्त में डरबन, दक्षिण अफ्रीका में होने वाला है. बहुध्रुवीय इतिहास की घड़ी सही दिशा में चल रही है."


2009 से, ब्रिक्स नेताओं ने 14 औपचारिक बैठकें और 9 अनौपचारिक बैठकें बुलाई हैं. जून 2009 में, BRIC नेताओं ने रूस में अपनी पहली बैठक आयोजित की, जिसमें BRIC सहयोग को शिखर स्तर पर उन्नत किया गया.


इससे पहले 2013 में पांचवां वार्षिक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका के डरबन में आयोजित किया गया था. इसमें पांच सदस्य देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के राज्य प्रमुख या सरकार के प्रमुखों ने भाग लिया था.


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