इस देश में है चमत्कारी Shiv Temple, कभी नहीं बुझती अग्निकुंड की ज्वाला; वैज्ञानिकों के लिए बना पहेली
बांग्लादेश स्थित अग्निकुंड महादेव मंदिर वैज्ञानिकों के लिए पहेली बना हुआ है. वजह है यहां लगातार जलने वाली ज्वाला. बांग्लादेश हिंदू यूनिटी काउंसिल का कहना है कि इस मंदिर से हमेशा आग की एक ज्वाला निकलती रहती है, जिसके स्रोत का अब तक कोई पता नहीं लगा सका है.
ढाका: पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश (Bangladesh) में भी हिंदू और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जाता रहा है. लेकिन इसके बावजूद यहां का प्राचीन शिव मंदिर (Shiv Mandir) लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. दूर-दूर से लोग भगवान शिव के दर्शन करने मंदिर आते हैं. इस प्राचीन मंदिर की सबसे खास बात ये है कि यहां हमेशा ज्वाला जलती रहती है, जिसने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया है.
Council ने शेयर की तस्वीरें
बांग्लादेश हिंदू यूनिटी काउंसिल (Bangladesh Hindu Unity Council) ने मंगलवार को पूरी दुनिया के लिए आश्चर्य का केंद्र बने शिव मंदिर की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं. ‘अग्निकुंड महादेव मंदिर’ (Agnikund Mahadev Temple) की जानकारी देते हुए परिषद ने लिखा, 'अग्निकुंड महादेव मंदिर. यह महादेव का प्राचीन मंदिर है, जो चिट्टागांव में स्थित है. इस मंदिर से हमेशा आग की एक ज्वाला निकलती रहती है’.
Archaeologist भी नहीं लगा पाए पता
परिषद ने आगे लिखा कि अभी तक कोई भी पुरातत्वविद इस आग के स्रोत का पता नहीं लगा पाया है. शेयर की गईं तस्वीरों में मंदिर के अग्निकुंड में जलती आग देखी जा सकती है. इन तस्वीरों को देखकर लोग ‘हर-हर महादेव’ लिख रहे हैं. वहीं, कुछ ने पूछा है कि क्या मंदिर की मरम्मत की कोई योजना है? जबकि कुछ ने आशंका जताई है कि कट्टरपंथी मंदिर को नुकसान न पहुंचा सकते हैं.
यहां भी हैं कई प्राचीन Temples
बता दें कि कंबोडिया में भी कई विशाल मंदिर हैं. यहां भगवान विष्णु का एक प्राचीन मंदिर है, जिसे सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है. इस मंदिर की स्थापना 12वीं सदी में कम्बुज के राजा सूर्यवर्मा द्वारा की गई थी. इस मंदिर की चौड़ाई 650 फुट और लंबाई ढाई मील है. भारत की बात करें तो तमिलनाडु के तिरुवनमलाई जिले में शिव का एक अनूठा मंदिर है. इस मंदिर को अनामलार या अरुणाचलेश्वर शिव मंदिर कहा जाता है. श्रद्धालु यहां अन्नामलाई पर्वत की 14 किलोमीटर लंबी परिक्रमा कर शिव से कल्याण की मन्नत मांगते हैं।