जोहांसबर्ग​: दक्षिण अफ्रीका (South Africa) ने इजराइल (Israel) और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच समान्य हो रहे रिश्तों पर चिंता जताते हुए कहा, 'यह खेदजनक है कि यह समझौता फलस्तीन (Palestine) के लोगों को शामिल किए बिना किया गया.'


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दक्षिण अफ्रीका के अंतराष्ट्रीय संबंध और सहयोग विभाग (DIRCO) ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा, 'पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता, खासतौर पर फलस्तीनी लोगों की परेशाानियों का स्थायी समाधान दक्षिण अफ्रीका के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.' 


बयान में कहा गया, 'दक्षिण अफ्रीका स्वीकार करता है कि यूएई (UAE) का यह संप्रभु अधिकार (Sovereign right) है कि वह इजराइल के साथ राजनयिक संबंध (Diplomatic relations) स्थापित करे, लेकिन जिस तरह से यह किया गया वह ‘खेदजनक’ है क्योंकि समझौता फलस्तीन के लोगों के भविष्य से जुड़ा है जिसमें उन्हें शामिल नहीं किया गया.'


गौरतलब है कि यूएई-इजराइल समझौते के केंद्र में इजराइल द्वारा पश्चिमी तट (Western coast) के इलाके पर कब्जे की योजना को स्थगित करने का वचन है. हालांकि, समझौते के बाद टेलीविजन पर प्रसारित बयान में इजराइली प्रधानमंत्री (Israeli Prime Minister) बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि 'वह कब्जा करने की प्रक्रिया में महज देरी करने पर सहमत हुए हैं.'


डीआईआरसीओ ने बयान में कहा, 'दुनिया के अधिकतर देशों ने पश्चिमी तट पर कब्जे की धमकी को बंद करने को कहा है क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का विरोधाभासी होगा. तीन देशों-अमेरिका, यूएई और इजराइल के बीच हुए समझौते में कब्जे को अस्थायी रूप से स्थगित करने की बात की गई है और इसे राजनयिक उपलब्धि बताकर जश्न मनाया जा रहा है.'


दक्षिण अफ्रीका ने कहा कि 'समझौते में हालांकि, इजराइल ने फलस्तीन और उसके लोगों के संप्रभुता वाले क्षेत्रों पर कब्जे की योजना को रोकने की प्रतिबद्धता नहीं जताई है.'


(इनपुट भाषा)


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