Sri Lanka Food Crisis: पाकिस्तान के अलावा भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका भी काफी वक्त से आर्थिक संकट से गुजर रहा है. खराब नीतियों के कारण श्रीलंका इतिहास का सबसे बुरा आर्थिक दौर देखने को मजबूर है. इस देश को दिवालिया तक घोषित कर दिया गया है. कई महीने गुजरने के बावजूद श्रीलंका की आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है. न तो वहां बिजली है और कारोबार इस कदर चौपट है कि लोग महंगाई के कारण भूखा रहने पर मजबूर हैं.


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चीन के कर्ज के जाल में श्रीलंका ऐसा फंसा कि इस तटीय देश की अर्थव्यवस्था बदहाली के समुद्र में डूब गई. रही-सही कसर कोरोना और बाकी फैक्टर्स ने पूरी कर दी. विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो गया, जिसके कारण जरूरी सामानों का इंपोर्ट रुक गया. राजनीतिक हालात इतने बदतर हो गए कि राष्ट्रपति देश छोड़कर भाग गए.


श्रीलंका में ऊर्जा संकट


पाकिस्तान की तरह श्रीलंका में भी ऊर्जा संकट देखने को मिला था. वहां 10-10 घंटे पावर सप्लाई बंद रही. इसका असर कारोबारों पर पड़ा और वे ठप हो गए.बिजली कटौती की समस्या वहां छोटे व्यवसासियों के लिए मुश्किलें बढ़ा रही है. MSME सेक्टर श्रीलंका की जीडीपी व रोजगार में बहुत योगदान देता है.


श्रीलंका में भले ही महंगाई दर में कमी आई है लेकिन अभी भी वहां लोग पेट नहीं भर पा रहे हैं. 7 मार्च के डेटा के मुताबिक श्रीलंका में दूध 420 रुपये किलो, टमाटर 412 रुपये किलो, आलू 341 रुपये किलो, चिकन 1312 रुपये किलो, अंडा 48 रुपये पीस, संतरा 1082 रुपये किलो और चावल 227 रुपये किलो बिक रहा है. 


महंगाई की मार झेल रही जनता


अगर वर्ल्ड ऑफ स्टेटिस्टिक्स की ओर से जारी महंगाई दर की लिस्ट पर गौर करें तो अर्जेंटीना और तुर्की के बाद सबसे ज्यादा श्रीलंका पर महंगाई की मार पड़ी है. अर्जेंटीना में महंगाई दर 98.8 प्रतिशत जबकि तुर्की में 55.18 फीसदी है.  आर्थिक तंगी से जूझ रहे श्रीलंका को 2.9 अरब डॉलर के सशर्त अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पैकेज की दरकार का है. इसे पाने के लिए सबसे बड़ी बाधा को तोड़ते हुए चीन ने श्रीलंका के लोन पुनर्गठन कार्यक्रम में मदद करने का आश्वासन दिया है.


राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, जिनके पास वित्त विभाग भी है, उन्होंने आश्वासन दिया कि एक बार आईएमएफ समझौता हो जाने के बाद, सौदा सरकार की भविष्य की योजना और रोड मैप के मसौदे के साथ संसद में पेश किया जाएगा. श्रीलंका चीन का सबसे बड़ा कर्जदार है. इसके लोन का 52 प्रतिशत चीन का है. इसके चलते श्रीलंका को आईएमएफ से मिलने वाले बेलआउट पैकेज बाधा बन रही थी.


(एजेंसी इनपुट के साथ)


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