Sweden finds the largest rare earth deposit: दूसरों की मदद करो और बदले में जमीन हड़पकर लोगों को गुलाम बना लो. ऐसी सोच रखने वाले चीन (China) को कुदरत ने बड़ा झटका दिया है. हालात ये हो गए हैं कि अपनी खनिज संपदा के दम पर यूरोप में भू-संपदा से जुड़ी चीजों की सप्लाई करके पूरी यूरोपियन यूनियन (EU) को अपने इशारे पर नचाने वाले चीन की घिघ्घी बंध गई है. दरअसल स्वीडन उसे सबक सिखाने के लिए धरती मां ने अपने गर्भ में छिपे दुनिया के सबसे नायाब कुदरती खजाने को प्रकट कर दिया है जो स्वीडन में सदियों से स्वीडन में छिपा हुआ था.


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दुर्लभ खजाना


'CNN' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक स्वीडिश खनन कंपनी एलकेएबी (LKAB) का कहना है कि उसने आर्कटिक स्वीडन में दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के सबसे 'महत्वपूर्ण भंडार' की पहचान की है, जिन्हें इलेक्ट्रिक वाहनों और पवन टर्बाइनों के निर्माण के लिए आवश्यक है. आपको बताते चलें कि इस खोज में दुनिया के सबसे दुर्लभ खनिजों में से एक, रेयर अर्थ ऑक्साइड के भंडार का पता चला है जिसके बाद इस कामयाबी को यूरोप के लिए एक चमत्कारी वरदान माना जा रहा है क्योंकि फिलहाल इस महाद्वीप में अर्थ ऑक्साइड का खनन नहीं होता है.


'बर्बाद हो जाएगा चीन'


स्वीडिश खनन कंपनी एलकेएबी (LKAB) का कहना है कि उसने देश के उत्तरी हिस्से में यूरोप की दुर्लभ पृथ्वी ऑक्साइड की सबसे बड़ी खान का पता लगाया है, ये एक ऐसी खोज है जो पूरे यूरोप के लिए महत्वपूर्ण संसाधन जुटाने के लिए चीन पर महाद्वीप की निर्भरता को कम कर सकती है.


कमाई पर असर


यूरोपियन यूनियन, चीन से 98% खनिज संपदा आयात करता है. आपको बताते चलें कि क्लीन एनर्जी पैदा करने खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रोडक्शन में इस दुर्लभ खनिज की अहम भूमिका होती है. अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्विस के मुताबिक, इस खनिज के बाजार में चीन का एकाधिकार है, क्योंकि वो कुल वैश्विक उत्पादन का  60% हिस्सा रखता है. इसलिए इस खनिज की चाहत रखने वाले देशों को अपनी मनमर्जी के हिसाब से खनिज बेचकर चीन अकूत कमाई करता था.


टूट गया सुपरपावर बनने का सपना!


हालांकि ये बात अलग है कि श्रीलंका, पाकिस्तान और अफ्रीका के वो छोटे-छोटे देश जो चीन के कर्ज में दबे हैं उनपर चीनी शाषकों का जोर ज्यादा चलता है और यूरोप के देश तो बस आर्थिक हितों का ध्यान रखते हुए चीन से मजबूरी में कई चीजों का सौदा करते थे. ऐसे में माना जा रहा है कि यूरोप से चीन को होनी वाली कमाई एक तरह से ठप पड़ सकती है. इससे चीन का सुपर पावर बनने का खतरा मानो टूट गया है.


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