Marry Bird Land News: एक एक इंच जमीन के लिए दुनिया के देश आमने सामने हैं लेकिन ऐसी भी जगहें है जिन पर कोई दावा नहीं करता. इसके अलावा अंटार्कटिका के बड़े हिस्से पर किसी का दावा नहीं है. मैरी बर्ड आइलैंड पर किसी भी देश का कब्जा नहीं हैं.अब सवाल यह है कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि कोई देश दावा नहीं करता है. जानकार कहते हैं कि अगर आप अंटाकर्टिक को देखें तो संसाधानों को लेकर होड़ उस स्तर तक अभी नहीं है. अंटाकर्टिका विश्व के सातवां महाद्वीप है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 


मैरी बर्ड लैंड
अंतरराष्ट्रीय कानून की नजर में अंटार्कटिका का कोई भी हिस्सा किसी एक देश के स्वामित्व में नहीं है. हालाँकि, इसने सात देशों को महाद्वीप के कुछ हिस्सों पर अपना दावा करने से नहीं रोका है. अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, चिली, फ्रांस, न्यूजीलैंड, नॉर्वे और यूके हैं.इन क्षेत्रीय दावों को दर्शाने वाला विशिष्ट मानचित्र अंटार्कटिका को पिज्जा की तरह टुकड़ों में कटा हुआ दिखाएगा, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और नॉर्वे का बड़ा हिस्सा होगा. हालाँकि, यह उल्लेखनीय है कि एक कोना लावारिस पड़ा हुआ है, जिसे मैरी बर्ड लैंड के नाम से जाना जाता है.इसका नाम अमेरिकी नौसैनिक अधिकारी रिचर्ड ई बर्ड की पत्नी के नाम पर रखा गया है जिन्होंने 20वीं सदी की शुरुआत में इस क्षेत्र की खोज की थी.विशाल 1,605,792 वर्ग किलोमीटर (620,000 वर्ग मील) में फैला, मैरी बर्ड लैंड दुनिया का सबसे बड़ा लावारिस क्षेत्र है. इसके टेरा नुलियस बने रहने का कारण यह है कि यह अंटार्कटिका के मानकों के अनुसार भी बहुत अलग है.