UN की रिपोर्ट में भारत में आतंकी गतिविधियों पर बड़ा खुलासा, हक्कानी नेटवर्क से जुड़े हैं तार
वाशिंगटन के ‘इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर’ के अनुसार हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान के सुरक्षा प्रतिष्ठानों में से कुछ लोगों का समर्थन हासिल है और यह अफगानिस्तान में लंबे समय से आतंकवादी संगठन के रूप में काम करता रहा है.
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के महासचिव एंतोनियो गुतारेस की ओर से जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आतंकवादी संगठन आईएसआईएल-के का नया नेता शिहाब अल-मुहाजिर भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका में आतंकवादी गतिविधियों के अभियानों का प्रमुख है और बताया जाता है कि उसका जुड़ाव पहले कुख्यात हक्कानी नेटवर्क के साथ रहा है.
यूएन की12वीं रिपोर्ट में कई अहम खुलासे
इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवांत- खोरासान (आईएसआईएल-के) को लेकर United Nations महासचिव की 12वीं रिपोर्ट में बताया गया है कि आईएसआईएल-के (ISIL-K) के पास अफगानिस्तान के विभिन्न प्रांतों में 1,000 से 2,200 लड़ाके हैं. यह संगठन आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया) और दइश के नाम से भी जाना जाता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएसआईएल-के अफगानिस्तान के नंगरहार और कुनार समेत अन्य प्रांतों में हमले जारी रखे हुए है. रिपोर्ट में कहा गया कि आईएसआईएल-के को इन प्रांतों के बड़े इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश में चुनौतियां तो मिल रही हैं लेकिन इस संगठन ने यहां कई हमलों की जिम्मेदारी ली है.
संगठन ने मई में काबुल के प्रसूति अस्पताल, अगस्त में जलालाबाद शहर के जेल पर हमले, नवंबर में काबुल विश्वविद्यालय पर हमले और दिसंबर में नंगरहार प्रांत में एक महिला पत्रकार की हत्या समेत कई हमलों की जिम्मेदारी ली है.
आतंकी शिहाब अल-मुहाजिर को लेकर अहम जानकारी
रिपोर्ट में कहा गया कि आईएसआईएल-के के पास अभी अफगानिस्तान के कई प्रांतों में 1,000-2,200 के बीच लड़ाके होने का आकलन किया गया है और संगठन द्वारा काबुल और अन्य प्रांतों की राजधानियों में हमले करने की आशंका है. शिहाब अल-मुहाजिर को जून 2020 में इस समूह का नया नेता बनाया गया और वह कथित तौर पर अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, पाकिस्तान, श्रीलंका, मध्य एशिया के देशों में आतंकी अभियानों का नेतृत्व करता है. ऐसा कहा गया है कि इससे पहले वह हक्कानी नेटवर्क से जुड़ा था.
वाशिंगटन के ‘इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर’ के अनुसार हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान के सुरक्षा प्रतिष्ठानों में से कुछ लोगों का समर्थन हासिल है और यह अफगानिस्तान में लंबे समय से आतंकवादी संगठन के रूप में काम करता रहा है.
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