इस्लामाबाद: पाकिस्तान की तेजी से बढ़ रही जनसंख्या को ‘टिकटिक करता टाइमबम’ बताते हुए सुप्रीप कोर्ट ने मंगलवार को धार्मिक विद्वानों, नागरिक संगठनों और सरकार से जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को बढा़वा देने की अपील की है. इन उपायों में प्रति परिवार दो बच्चों का नियम भी शामिल है. मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार के नेतृत्व वाली तीन सदस्यों की एक पीठ ने पाकिस्तान में जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े मामले की सुनवाई करने के दौरान यह बात कही.


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पाकिस्तान दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश है. सुप्रीप कोर्ट ने अपने आदेश में धार्मिक विद्वानों, नागरिक संगठनों और सरकार से देश में जनसंख्या नियंत्रण के कदमों का प्रचार के लिए कदम उठाने की अपील की. एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक पीठ ने तेजी से बढ़ रही जनसंख्या को ‘टिकटिक करता टाइमबम’ करार दिया. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘पूरे देश को जनसंख्या नियंत्रण के कदम के साथ खड़े होने की जरूरत है.' 


पाकिस्तान: सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने कहा, उनका अगला अभियान बढ़ती जनसंख्या
आपको बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश साकिब निसार का कहना था कि उनका अगला अभियान बढ़ती जनसंख्या के खिलाफ होगा. गौरतलब है कि संख्या के लिहाज से पाकिस्तान दुनिया का छठवां सबसे बड़ा देश है. मुसलमान देश में बढ़ती जनसंख्या से जुड़े एक मामले की जुलाई में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ने कहा था कि ‘‘जनसंख्या बम’’ को निष्क्रिय करने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ संबंधित कानून भी जरूरी है. फिलहाल ब्रिटेन की यात्रा पर गए न्यायमूर्ति निसार ने कहा कि वह पाकिस्तान में जनसंख्या नियंत्रण पर जागरूकता फैलाने के लिए एक अभियान चलाने पर विचार कर रहे हैं.


पाकिस्तान में बांध बनाने के लिए बर्मिंघम में आयोजित फंडरेजर में जियो न्यूज से बातचीत में उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सचिव कैप्टन (अवकाश प्राप्त) जाहिद सईद की अध्यक्षता में परिवार नियोजन पर एक कार्यबल का गठन किया जा चुका है और उन्होंने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है.उन्होंने कहा कि इस संबंध में उच्चतम न्यायालय में 12 और 13दिसंबर को एक सम्मेलन का आयोजन होगा और प्रधानमंत्री तथा मैं उस सम्मेलन का हिस्सा होंगे. उन्होंने रेखांकित किया कि पाकिस्तान के संसाधन खत्म हो रहे हैं और अंतत: इससे संसाधनों के असमान वितरण की स्थिति पैदा होगी. यह देश की मौलिक चिंताओं में से एक है जिससे निपटना जरूरी है.


इनपुट भाषा से भी