Voting in the UK: यूनाइटेड किंगडम में लोग आज नई सरकार को चुनने के लिए वोट डाल रहे हैं. देश बदलाव के मुहाने पर खड़ा है. एक के बाद एक ओपनियन पोल से पता चलता है कि कंजर्वेटिव पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है और लेबर पार्टी सरकार बनाएगी. छह सप्ताह पहले सुनक ने जानकारों और अपने अधिकांश सांसदों को चौंकाते हुए 4 जुलाई को चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया. यह उम्मीद से कम से कम तीन महीने पहले थी. अधिकांश जानकारों ने सोचा था कि मतदान शरद ऋतु में होगा. हालांकि एक बात परंपरा के अनुरूप रही कि 4 जुलाई को गुरुवार था. जी हां पिछले कई दशकों की तरह इस बार भी यूके में वोट गुरुवार को डाले जा रहे हैं. 


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जानते हैं कि क्यों यूके में अक्सर गुरुवार को ही वोट डाले जाते हैं. 


89 वर्षों से गुरुवार को चुनाव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन में कोई भी कानून यह अनिवार्य नहीं करता कि चुनाव गुरुवार को ही हों. हालांकि, यह एक परंपरा बन गई है जिसका पालन आठ दशकों से किया जा रहा है. 


14 नवंबर 1935 को आम चुनाव गुरुवार को हुए थे और इसके बाद से हर चुनाव गुरुवार को ही आयोजित किया गया. 


हालांकि इससे पहले 30 मई 1929 को यूके में गुरुवार को आम चुनाव हुए थे लेकिन तब तक चुनाव एक खास दिन कराने की कोई परंपरा नहीं बनी थी. अगला चुनाव 27 अक्टूबर 1931 को मंगलवार को हुआ. 


आम चुनाव के अलावा व्यक्तिगत सीटों के लिए उपचुनाव और स्थानीय चुनाव भी आमतौर पर गुरुवार को होते हैं. 


कानून से ज्यादा परंपरा का मुद्दा 
फिकिस्ड टर्म पार्लियामेंट एक्ट 2011 में कहा गया है कि आम चुनाव आम तौर पर हर पांच साल में एक बार मई के पहले गुरुवार को होने चाहिए। हालांकि, यह पत्थर की लकीर नहीं है। इस साल, चुनाव का जुलाई में आया है जबकि पिछला चुनाव 12 दिसंबर, 2019 को हुआ था।


गुरुवार को ही क्यों?
इसका कोई एक खास कारण नहीं है. यह अब एक रिवाज़ बन गया है. हालांकि, इसके पीछे लोग अलग-अलग वजह बताते हैं. 


बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक,  कुछ लोगों की नजर में शुक्रवार को मतदान कराना इसलिए गलत माना जाता था क्योंकि यह परंपरागत रूप से सैलरी मिलने का दिन होता था. इस दिन लोग 'दिलचस्प' कामों में बिजी रहते हैं जैसे कि सामाजिक मेलजोल बढ़ाना या पब में जाना, और वोट देने जाना उनके लिए संभव नहीं होता. 


रविवार वह दिन है जब आबादी का एक बड़ा हिस्सा चर्च जाता है और इस बात की चिंता थी कि वहां उपदेश सुनकर उनकी पसंद प्रभावित हो सकती है. 


चुनाव के लिए सप्ताह का दिन होने से वोटर पब या चर्च से दूर रहते हैं। पहले के दिनों में, गुरुवार को कई शहरों और गांवों में पारंपरिक बाजार का दिन माना जाता था. यह एक प्रैक्टिकल ऑप्शन था क्योंकि लोग मतदान केंद्र पर जा सकते थे और बाजार जाते समय अपना वोट डाल सकते थे. 


कई लोग गुरुवार को मतदान के लिए सबसे सही मानते हैं, क्योंकि परिणाम आमतौर पर शुक्रवार सुबह तक घोषित किए जाते हैं. इससे वीकेंड में सत्ता का सुचारू रूप से हस्तांतरण हो जाता है और प्रधानमंत्री को अपना मंत्रिमंडल चुनने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है. 


इंडिपेंडेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, दो दिनों में, एक नव निर्वाचित नेता डाउनिंग स्ट्रीट में सेटल हो सकता है और सोमवार सुबह तक सिविल सेवकों को जानकारी देने के लिए तैयार हो सकता है.