Electoral Bond: भारत में इलेक्ट्रोल बॉन्ड का मुद्दा इस समय गर्म है. पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर इस मुद्दे को लेकर निशाना साध रहे हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया के दूसरे देशों में राजनीतिक दल कैसे चंदा इक्ट्ठा करते हैं. हम आपको आज इसी के बारे में बताते हैं.


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अमेरिका
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव लड़ना खासा महंगा काम है. इसके लिए लीगल टीम, फंड जुटाने की टीम, अमीर समर्थकों का आपसे पास होना जरूरी है. यह दावा नहीं किया जा सकता कि अमेरिका में राजनीतिक चंदे की व्यवस्था पूरी तरह से पारदर्शी है. फिर भी कई नियम कायदे हैं जो चंदे की व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए लागू किए गए हैं.


अलग-अलग डोनर के लिए अलग-अलग लिमिट तय की गई है. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों को आम चुनावों और प्राइमरी इलेक्शन के चुनावी अभियानों के लिए फेडरल सरकार से पैसा मिलता है. इसे प्रेसिडेंशियल फंडिग प्रोग्राम कहा जाता है.


सिएटल में स्थानीय चुनावों के लिए 'डेमोक्रेसी वाउचर' का प्रक्रिया भी लागू की गई थी. इसके तहत सरकार मतदाताओं को तय कीमतों वाले वाउचर देती है. जिनके जरिए वोटर्स अपनी पसंद के उम्मीदवार को चंदा दे सकते हैं.


यूके
यूनाइटेड किंगडम (यूके) में राजनीतिक दल कई तरीकों से चंदा जुटाते हैं. उनके चंदे में - सरकारी फंडिग, सदस्यता अभियान के जरिए मिला फंड, दान और लोन के जरिए मिला पैसा शामिल होता है. राजनीतिक पार्टियां प्रति सीट 30,000 यूरो से ज्यादा खर्च नहीं कर सकती हैं. पार्टियों और प्रत्याशियों की फंडिक पर नजर रखने और कंट्रोल करने के लिए देश में ‘पॉलिटिकल पार्टीज, इलेक्शन एंड रेफरेंडम एक्ट- 2000’ जैसा कानून लागू है.


जर्मनी
यहां पार्टियों को सरकार से फंडिंग मिलती है. किस पार्टी को कितनी फंडिग की जानी है इसका फैसला - इसका फैसला पिछले चुनावों में मिले वोटों, मेंबरशिप फीस और पार्टी को मिले निजी चंदे के आधार पर किया जाता है. इसके अलावा पार्टी के सदस्यों, सांसदों या कॉरर्पोरेट फंडिंग से भी चंदा जुटाती हैं.


फ्रांस
फ्रांस में राजनीतिक दलों के पास प्राइवेट और सरकारी दोनों स्रोतों से फंड जुटाने का ऑप्शन होता है. कोई भी शख्श 7,500 यूरो तक अपनी पंसदीदा पार्टी को चंदा दे सकता है. सरकारी फंडिंग की एक पार्टी को मिले वोटों के आधार पर तय होती है.