वाशिंगटन : अमेरिका ने पाकिस्तान और परमाणु हथियार रखने वाले सभी अन्य देशों से कहा है कि वे अपनी परमाणु क्षमताओं के विस्तार पर ‘अंकुश’ लगाएं। अमेरिका की इस सलाह से पहले दो अमेरिकी विचार समूहों ने कहा है कि पाकिस्तान के पास करीब एक दशक में परमाणु हथियारों का तीसरा सबसे बड़ा भंडार हो सकता है।


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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि हम पाकिस्तान समेत परमाणु हथियार रखने वाले सभी देशों से अपील करते हैं कि वे अपनी परमाणु क्षमताओं के विस्तार पर अंकुश लगाएं। किर्बी से शीर्ष अमेरिकी विचार समूहों की उस रिपोर्ट के बारे में सवाल किया गया था जिसके अनुसार एक दशक में पाकिस्तान के पास 350 से अधिक परमाणु हथियार होंगे और यह अमेरिका एवं रूस के बाद परमाणु हथियारों का तीसरा सबसे बड़ा भंडार होगा। प्रवक्ता ने इस प्रश्न के उत्तर में यह बात कही।


स्टिमसन सेंटर और कार्नेजी एंडॉमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के दो जानेमाने विद्वानों टॉम डाल्टन और मिशेल क्रेपन द्वारा जारी 48 पृष्ठ की रिपोर्ट ‘ए नॉर्मल न्यूक्लियर पाकिस्तान’ कहती है कि देश के परमाणु शस्त्रागार को बढाने का मार्ग विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता के उन आश्वासनों से कहीं आगे जाता है जो उसके अधिकारियों और विश्लेषकों ने परमाणु उपकरणों के परीक्षण के बाद दिए थे।


रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान भारत की ओर से अपने वजूद को पैदा हो सकने वाले कथित खतरों के खिलाफ निकट भविष्य में एक अनिवार्य प्रतिरोधी के तौर पर अपनी परमाणु क्षमताओं को बनाए रखेगा। इसमें कहा गया है, ‘इस मोड़ पर पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व भारत के खिलाफ एक सामरिक प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने में सफलता का मार्ग चुन सकता है- यह प्रतिरोधक परमाणु शक्ति संपन्न होने के एक ऐसे रूख से जुड़ा है, जो सीमित परमाणु टकराव और किसी बड़े पारंपरिक युद्ध को रोकने के लिए काफी है। रिपोर्ट ने कहा कि वह वैकल्पिक रूप से, सभी मामलों में प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने में भारत के साथ प्रतिद्वंद्वता जारी रखने का मार्ग चुन सकता है, जिसके लिए पाकिस्तान के निकट और इससे दूर स्थित निशानों के खिलाफ असीमित परमाणु जरूरतें अपरिहार्य हो जाएंगी। ये चयन पाकिस्तान को वैश्विक परमाणु क्रम के दो एकदम अलग परमाणु भविष्य और स्थानों की ओर ले जाएंगे।


रिपोर्ट में पाकिस्तान के लिए परमाणु हथियार से जुड़ी पांच पहलों का जिक्र किया गया है। इनमें पाकिस्तान के ‘पूर्ण स्पेक्ट्रम’ प्रतिरोधक क्षमता की अपनी घोषणात्मक नीति से हटकर ‘रणनीतिक’ प्रतिरोधक क्षमता की ओर बढने की बात कही गई है। इसके साथ ही इसके उसके द्वारा निलंबित प्रतिरोधक क्षमता वाली स्थिति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताने और छोटी दूरी तक परमाणु आयुध ले जाने वाले वाहकों और रणनीतिक परमाणु हथियारों के उत्पादन को सीमित करने की बात है।