Yevgeny Prigozhin: पिछले महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ बगावत करने वाले वैगनर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको ने गुरुवार को कहा कि प्रिगोजिन रूस में हैं. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 24 जून को विद्रोह के बाद से प्रिगोजिन का ठिकाना किसी को मालूम नहीं था.लुकाशेंको ने ही प्रिगोझिन के साथ समझौता किया था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

तब उन्होंने कहा था कि वैगनर प्रमुख के खिलाफ आरोप हटा दिए गए हैं और उन्हें बेलारूस जाने की पेशकश की गई है. लेकिन गुरुवार को राष्ट्रपति ने कहा, 'जहां तक प्रिगोजिन का सवाल है, वह सेंट पीटर्सबर्ग में हैं. बेलारूस में नहीं. जबकि पहले उन्होंने कहा था कि प्रिगोजिन बेलारूस आ गए हैं.


जेट ने भरी थीं कई उड़ानें


बीबीसी ने प्रिगोजिन के प्राइवेट जेट को जून के आखिर में बेलारूस के लिए उड़ान भरने और उसी शाम रूस लौटने की खबर दी थी. तब से इसने सेंट पीटर्सबर्ग और मॉस्को के बीच कई उड़ानें भरी हैं. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वैगनर चीफ विमान में थे या नहीं.


गुरुवार को बेलारूसी राष्ट्रपति ने कहा, जहां तक मुझे पता है वैगनर ग्रुप के बाकी लड़ाके अभी भी अपने ठिकानों पर हैं, जिसमें पूर्वी यूक्रेन या रूस के क्रास्नोडार इलाके में एक ट्रेनिंग शिविर हो सकता है. उन्होंने कहा कि वैगनर को अपने कुछ लड़ाकों को बेलारूस में तैनात करने का प्रस्ताव अभी भी कायम है.


बीबीसी ने राष्ट्रपति के हवाले से कहा, 'लेकिन वैगनर का नजरिया अलग है. निश्चित रूप से मैं आपको इसके बारे में नहीं बताऊंगा. फिलहाल, उनके ट्रांसफर का मुद्दा हल नहीं हुआ है.'


'रूसी समाज ने दिखाई एकजुटता'


इससे पहले पुतिन ने मंगलवार को कहा था कि रूसी समाज ने सशस्त्र विद्रोह की कोशिशों के खिलाफ एकजुटता दिखाई है और लोगों ने देश की सुरक्षा को लेकर अपनी जवाबदेही पेश की है.


रूसी राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय में आया, जब बीते महीने वैगनर ग्रुप ने विद्रोह कर दिया था. हालांकि, यह बगावत कुछ घंटों की रही. 


प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई में हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में पुतिन ने यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में कहा कि बाहरी ताकतें हमारी सीमाओं के पास परियोजनाएं चला रही हैं ताकि रूस की सुरक्षा को खतरे में डाला जा सके. उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि पिछले आठ साल से हथियारों की खेप भेजी जा रही है, डोनबास में शांतिप्रिय लोगों के खिलाफ आक्रामकता हो रही है जो नवनाजीवाद की तरह है.


(इनपुट-IANS)