US, UK Strikes On Houthis: हूती विद्रोहियों पर अमेरिका-ब्रिटेन के मिलिट्री एक्शन को लेकर बंटा वेस्ट, इटली,फ्रांस,स्पेन ने बनाई दूरी
US, UK Attack on Houthi Rebels: यूएस-यूके ने यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकाने पर हमले शुरू कर दिए हैं. हूती विद्रोही पिछले कई हफ्तों से लाल सागर में नागरिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं.
Attack on Houthi Rebels: हूती विद्रोहियों के पर संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन के हमले को लेकर पश्चिम बंटता हुआ नजर आ रहा है. इटली, स्पेन और फ्रांस इन हमलों में यूएस-यूके के साथ शामिल नहीं हुए. हमलों को सही ठहराने वाले 10 देशों की ओर से दिए गए एक बयान पर भी इन तीनों देशों ने हस्ताक्षर नहीं किए. यह मतभेद दरअसल इस बात को उजागर करता है कि वेस्ट में हूतियों से निपटने के तरीकों पर एक राय नहीं बन सकी है.
बता दें यूएस-यूके ने यमन में हूती आतंकियों के ठिकाने पर हमले शुरू कर दिए हैं. गौरतलब है कि हूती पिछले कई हफ्तों से लाल सागर में नागरिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं. यह दुनिया के सबसे बिजी कमर्शियल शिपिंग मार्गों में से एक है. हूतियों का कहना है कि उनकी ये कार्रवाई गाजा पट्टी में इजरायल के मिलिट्री एक्शन का बदला है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और बहरीन ने ऑपरेशन के लिए रसद और खुफिया मदद प्रदान की. इसके अलावा, जर्मनी, डेनमार्क, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया ने इन 6 देशों के साथ मिलकर एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए.
संयुक्त बयान में हमलों का बचाव किया गया और हूती विद्रोहियों के पीछे नहीं हटने पर लाल सागर व्यापार मार्ग की रक्षा के लिए आगे की कार्रवाई की चेतावनी दी गई.
इटली ने बनाई दूरी
पीएम जियोर्जिया मेलोनी के कार्यालय के एक सूत्र ने कहा कि इटली ने बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिए. हालांकि, एक अन्य सरकारी सूत्र ने कहा कि इटली को भाग लेने के लिए कहा गया था, लेकिन उसने दो कारणों से इनकार कर दिया - पहला, क्योंकि किसी भी इतालवी भागीदारी के लिए संसदीय अनुमति की जरुरत होगी, जिसमें समय लगेगा, और दूसरा, क्योंकि रोम ने लाल सागर में ‘शांत’ नीति अपनाई है.
कुछ घंटों बाद, एक सरकारी बयान में कहा गया कि ‘इटली ग्लोबल ड्रेड फ्लो और मानवीय सहायता के हित में सहयोगी देशों के ऑपरेशन का समर्थन करता है, जिनके पास अपने जहाजों की रक्षा करने का अधिकार है.’
फ्रांस को सता रहा यह डर
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक फ्रांसीसी अधिकारी ने कहा कि पेरिस को डर है कि इन हमलों में शामिल होने से, हिज़्बुल्लाह और इजरायल के बीच तनाव को कम करने की बातचीत में उसके पास जो भी लाभ है, वह खो जाएगा.
फ्रांस ने हाल के हफ्तों में अपनी कूटनीति का अधिकांश ध्यान लेबनान में तनाव बढ़ने से बचने पर केंद्रित किया है.
यह पूछे जाने पर कि क्या फ्रांस ने भाग लेने से इनकार कर दिया है, अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि वह राजनयिक बातचीत के बारे में विस्तार से नहीं बताएंगे.
अमेरिकी एक्शन के लिए संभावित मौन समर्थन का संकेत देते हुए, फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया. बयान में हूति विद्रोहियों को हालात के लिए जिम्मेदार ठहराया गया.
हालांकि, फ्रांस की स्थिति को समझने वाले एक डिप्लोमेट ने कहा कि पेरिस को विश्वास नहीं है कि इस हमले को वैध आत्मरक्षा माना जा सकता है.
स्पेन ने कही यह बात
स्पेन की रक्षा मंत्री मार्गरीटा रोबल्स ने कहा कि मैड्रिड लाल सागर में मिलिट्री एक्शन में शामिल नहीं हुआ है क्योंकि वह इस क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देना चाहता है. उन्होंने मैड्रिड में कहा, 'हर देश को अपने कार्यों के लिए स्पष्टीकरण देना होगा. स्पेन हमेशा शांति और बातचीत के लिए प्रतिबद्ध रहेगा.'