Houthi Rebels Attack: लाल सागर में यमन हूती विद्रोहियों के हमले जारी हैं. हूतियों के खिलाफ अमेरिका और ब्रिटेन के हवाई हमले उन्हें रोकने में नाकाम रहे हैं. ईरान समर्थित हूतियों ने नवंबर में हमले शुरू किए थे जिसके बाद यूएस-यूके ने उन पर हवाई हमले शुरू किए लेकिन विद्रोहियों के हमलों को अब तक रोक नहीं सका है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन खुद पिछले महीने यह स्वीकार कर चुके हैं कि उनके हमले हूती विद्रोहियों को रोक नहीं पाए हैं.


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बता दें हूती यह कहते रहे हैं कि उनके हमले गाजा में इजरायल और हमास के बीच युद्ध में फिलिस्तीनियों का समर्थन करने के लिए हैं.


हूती हमले में तीन की मौत
हूती विद्रोहियों ने बुधवार को अदन की खाड़ी में एक वाणिज्यिक पोत पर मिसाइल से हमला किया. हमले में 3 क्रू मेंबर की मौत हो गई.  गाजा में हमास के खिलाफ इजराइल के युद्ध छेड़ने के बाद हूती विद्रोहियों की ओर से यह पहला ऐसा हमला है, जिसमें लोगों की जानें गई हैं।


हूती मिसाइल हमले की वजह से डूबा जहाज
चार दिन पहले, ब्रिटेन के स्वामित्व वाला बल्क करियर रूबीमार, मिसाइल हमले से हुए गंभीर नुकसान के साथ दो सप्ताह तक तैरने के बाद डूब गया. हालांकि जहाज से सभी क्रू को सुरक्षित निकाल लिया गया. यह पहला जहाज बना जो हूती हमले की वजह से डूबा.


हूती हमलों का असर
हौथी हमलों ने ग्लोबल शिपिंग को बाधित कर दिया है, जिससे कंपनियों को दक्षिणी अफ्रीका के आसपास लंबी और अधिक महंगी यात्राओं का रास्ता बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा है। लाल सागर के माध्यम से सात दिवसीय यात्रा का बीमा करने की लागत सैकड़ों हजारों डॉलर तक बढ़ गई है।


क्यों नाकाम हो रहे हैं अमेरिका और यूके
हौथिस ने अपने हमले के तरीके को भी बदल दिया है. शुरुआत में उन्होंने विस्फोटक ले जाने वाली मिसाइलों और ड्रोन दोनों का इस्तेमाल किया, लेकिन हाल के हमलों में मुख्य रूप से यमन से लॉन्च की गई मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया है.


हूतियों की ताकत का राज
पिछले अल जजीरा की एक रिपोर्ट में हौथी प्रवक्ता के हवाले से जानकारी दी कि जब से समूह ने फिलिस्तीन के समर्थन में लाल सागर में अपनी कार्रवाई शुरू की है तब से 200,000 से अधिक नए लड़ाकों को भर्ती और प्रशिक्षित किया है.


एक्सपर्ट्स और ग्रुप के बयानों के मुताबिक, लोकप्रिय समर्थन ने हूतियों को यमन में भारी राजनीतिक ताकत दी है. कई विश्लेषक यह भी मानते हैं कि अमेरिकी हमलों ने हूतियों को अपनी लोकप्रियता बढ़ाने का मौका दिया.


'यमनी फिलिस्तीनी मुद्दे को लेकर काफी भावुक'
अल जजीरा के मुताबिक यमन के विश्लेषक निकोलस जे ब्रूमफील्ड का कहना, ‘7 अक्टूबर से पहले की तुलना में लाल सागर के हमलों और अमेरिकी एयर स्ट्राइक ने निस्संदेह उन्हें समर्थन जुटाने में काफी मदद की. ग्रुप की लोकप्रियता उल्लेखनीय रूप से कम हो रही थी.’


सना सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के एक वरिष्ठ शोधकर्ता अब्दुलगनी अल-इरियानी के मुताबिक ‘यमनी फिलिस्तीनी मुद्दे के प्रति बेहद भावुक हैं और इससे हूती विद्रोहियों को फायदा मिलता है.


हालांकि कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि की हूतियों ने पिछले दिनों नए लड़ाकों की भर्तीयां की हैं लेकिन उनकी संख्या इतनी नही हैं जितना ग्रुप दावा कर रहा है.