अपने देश की कीमत क्या होती है ? आज इस सवाल का सबसे अच्छा जवाब... रोहिंग्या शरणार्थी ही दे सकते हैं. म्यांमार के रोंहिग्या आज पूरी दुनिया में शरण के लिए भटक रहे हैं, लेकिन अब तक कोई भी देश उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार और बांग्लादेश के बीच चल रही राजनीति में पिस रहे हैं. बांग्लादेश और म्यांमार दोनों ही रोंहिग्या मुसलमानों को अपना नागरिक मानने से इनकार कर रहे हैं. म्यांमार में ऐसे लोगों का एक बहुत बड़ा तबका है जो रोहिंग्या मुसलानों को बंगाली मुसलमान कहता है यानी ऐसे मुसलमान जो मूल रूप से बंगाल के रहने वाले हों. दूसरी तरफ बांग्लादेश दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में से एक है... यहां इंसानों के रहने के लिए जगह बहुत कम है. ऐसे में बांग्लादेश के दिल में और ज़मीन में शरणार्थियों के रहने की जगह बहुत कम है.


म्यांमार के रखाइन प्रांत में दो हफ्ते से हिंसा चल रही है. अपनी जान बचाने के लिए हज़ारों की तादाद में रोंहिग्या मुसलमान समंदर की तरफ भाग रहे हैं ताकी किसी तरह बांग्लादेश में शरण ले सकें लेकिन बांग्लादेश की सीमा की सुरक्षा में लगे जवान भी उनको वापस भेज रहे हैं. कई दिनों तक ये लोग भूखे प्यासे समंदर में ही... अपनी नाव पर रहने पर मजबूर हैं. ये एक बहुत बड़ी त्रासदी है.. और इसका इलाज म्यांमार के अलावा किसी के पास नहीं है.


एक तरफ रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्याओँ का अंत नहीं हो रहा और दूसरी तरफ बांग्लादेश की सरकार किसी तरह रोहिंग्या मुसलमानों से छुटकारा पाने की योजना बना रही है. बांग्लादेश की सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को एक ऐसे द्वीप पर बसाना चाहती है जो साल में चार महीने.. पूरी तरह बाढ़ में डूबा रहता है.

पूरी दुनिया में सीरिया और इराक के शरणार्थियों की चर्चा तो होती है, लेकिन इन रोहिंग्या मुसलमानों की समस्याओँ को समझने के लिए कोई भी आगे नहीं आ रहा है. ऐसे हालात में हमारी टीम ने बांग्लादेश और म्यांमार के बॉर्डर पर मौजूद उन इलाकों का दौरा किया जहां पर रोहिंग्या मुसलमान मदद का इंतजार कर रहे हैं. ये अलग तरह की रिपोर्टिंग है.. जो आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगी.