Chandigarh News: भाजपा प्रधान सुनील जाखड़ ने खनौरी मोर्चे पर पिछले 27 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे 70 वर्षीय किसान नेता दलजीत सिंह डलेवाल का जीवन बचाने के लिये सामूहिक प्रयास करने की जरूरत पर बल दिया है. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि किसान नेताओं को अहम त्याग कर सर्वप्रथम अनशन समाप्त करवाने का गंभीरता से प्रयास करना चाहिए.  


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डलेवाल के बारे में प्रदेश भाजपा प्रधान ने कहा कि ऐसा देश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि केन्द्र सरकार के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने भी किसी व्यक्ति के अनशन का संज्ञान लेते हुए सीधे बातचीत करने की पेशकश की है. इससे डलेवाल का लक्ष्य पूरा हो जाता है. उनकी मांगों को अब सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रखना ही बेहतर होगा. ऐसा नहीं है कि समस्या का समाधान ना निकले. 


डलेवाल के अनशन को लेकर कैंडल मार्च के आह्वान पर टिप्पणी करते हुए सुनील जाखड ने कहा कि कई किसान नेता यह तर्क देकर किनारा किये बैठे हैं कि उन्होंने तो कृषि कानून वापस लेने के लिये संघर्ष शुरू किया था और यह मांग पूरी हो चुकी है. 


मतभेदों के चलते सभी एक मंच पर एकत्र होने को तैयार नहीं. ऐसा प्रभाव मिल रहा है कि पिछले 10 दिनों से डलेवाल की जान से खिलवाड़ हो रहा है. नेतागण उनका हालचाल पूछने जा रहे हैं लेकिन किसी ने यह नहीं कहा कि हम आपकी समस्या का समाधान करवाने के लिये आगे आने को तैयार हैं. अगर डलेवाल के गुर्दे ने काम करना बंद कर दिया तो शेष जीवन आराम से बिताना मुश्किल हो जायेगा. चिंता सभी को इस बात की होनी चाहिये न कि उनके साथ फोटो खिंचवाने की.


पंजाब के हालात की चर्चा करते हुए जाखड ने कहा कि सबसे पहले खुफिया ब्यूरो के कार्यालय पर बम फेंका गया. उसके बाद पुलिस स्टेशनों में हैंड ग्रेनेड या बम फेंकने की 9 वारदातें सामने आ चुकी है. स्पष्ट संकेत मिलता है कि पाकिस्तान की खूफिया ऐंजेंसी आईएसआई पंजाब के युवाओं को बहका कर विधवंस्क गतिविधियों से जोड़ने को बेताव है. युवाओं में बेरोजगारी और विदेश जाकर पैसा कमाने की ललक उन्हें पथभ्रष्ठ कर सकती है. इस स्थिति को तुरंत रोकना होगा क्योंकि पंजाब ने पहले भी आतंकवाद का संताप भोगा है. 


जाखड़ ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान स्वयं को किसानों का वकील कहा करते थे, लेकिन अब इस जिम्मेदारी से कतरा रहे हैं. बताया जा रहा है कि वह ऑस्ट्रेलिया जाने की तैयारी कर रहे हैं. याद आता है कि जब रोम जल रहा था तो नीरो बंसुरी बजा रहा था.


कुछ ऐसा ही मान साहब के बारे में अब कहा जा सकता है कि यहां कानून व्यवस्था चरमरा रही है और लोग डलेवाल के बहाने स्थिति बदतर करने की साजिश रच रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री को विदेश जाने की चिंता सता रही है. जो कुछ भी पंजाब में हो रहा है वह ना तो प्रदेश के हित में है और ना किसानों के हित में. बाकी सब बातों को छोड़कर  हमें नेक नीति से डलेवाल का अनशन समाप्त करवाने का गंभीरता से प्रयास करना चाहिए.