Doctors Day 2024: डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है. भगवान के बाद डॉक्टर्स ही हैं, जो इंसानों को दूसरा जीवन देते है, लेकिन भले ही डॉक्टर को किसी भी रूप में भगवान का दर्जा दिया जाए, असल में हैं तो वो भी इंसान ही. जैसे हमें स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं वैसे ही उन्हें भी कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ता है. अब सवाल ये उठता है कि इन सभी प्रॉब्लम्स के बीच वो अपनी ड्यूटी कैसे करते हैं. ऐसे में आज चिकित्सक दिवस के मौके पर हमने कुछ डॉक्टर्स से बात की और उनसे चिकित्सक क्षेत्र के बारे में जानने की कोशिश की. 


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क्या कहती हैं IGMC शिमला की प्रिंसपल डॉ. सीता ठाकुर
जब IGMC शिमला की प्रिंसपल डॉ. सीता ठाकुर से इस बारे में की गई तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स हर परिस्थिति से लड़ने के लिए तैयार रहते हैं. इसमें लोगों की दुआएं भी डॉक्टर्स का साथ देती हैं. उन्होंने बताया कि डॉक्टर्स को ट्रेनिंग के समय ही ट्रेंड कर दिया जाता है ताकि गंभीर से गंभीर परिस्थितियों में निपटा जा सके. 


डॉक्टर बनना एक चुनौतीपूर्ण कार्य


उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स के साथ सारा मेडिकल स्टाफ इमरजेंसी जैसी परिस्थिति से निपटने में कंधे से कंधा मिलाकर चलता है. उन्होंने कहा कि ये एक ऐसा प्रोफेशन है जहां कभी भी इमरजेंसी आ जाती है, जब किसी भी समय अपने परिवार को छोड़ कर ड्यूटी पर जाना पड़ता है. डॉ. सीता ठाकुर ने कहा कि डॉक्टर बनना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है.


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डॉक्टरी पेशे को चुनने के लिए बहुत साहस की जरूरत: डॉ. अर्चित अग्रवाल
वहीं, ईएसआईसी के मनोचिकित्सा विभाग के डॉ. अर्चित अग्रवाल ने कहा कि 'डॉक्टरी पेशे को चुनने के लिए बहुत साहस की जरूरत होती है. चिकित्सा जगत में एक डॉक्टर की उम्र भर की प्रतिबद्धता और विलक्षण जीवनशैली निश्चय ही सहारना की पात्र है, क्योंकि डॉक्टरी पेशे में सौहार्द्र ही सर्वोपरि है. एक डॉक्टर बनने के लिए की जाने वाली पढ़ाई केवल इस क्षेत्र का एक छोटा सा हिस्सा है. वास्तव में मरीजों के इलाज के बाद उन्हें नई जिंदगी देना ही इस पेशे को सार्थक बनाता है. चिकित्सा पेशे से जुड़े सभी डॉक्टर्स को आज के दिन सैल्यूट.  


बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. राम समुज ने कहा...


इनके अलावा बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. राम समुज ने कहा, 'मैं सभी माता-पिता का धन्यवाद करता हूं कि वे हम डॉक्टर्स पर विश्वास करते हैं जब उनके बच्चे अस्वस्थ महसूस करते हैं तो वे हमें अपने बच्चे का इलाज करने और उनका जीवन बचाने का अवसर देते हैं. 


एक डॉक्टर के लिए ये होता है खुशी का क्षण
वहीं, ईएसआईसी के मनोचिकित्सा विभाग में कार्यरत डॉ. नरेश ने कहा कि जब हम मरीज को ठीक करते हैं और रिश्तेदारों के चेहरे पर मुस्कान देखते हैं तो हमें भी काफी खुशी होती है, लेकिन कई बार किसी मरीज को ठीक करने की बहुत कोशिश करने के बाद किसी कारण वश ऐसा नहीं हो पाता है तो उस समय बहुत निराशा महसूस होती है. उस समय उस निराशा के आगे खुशी भी फीकी पड़ जाती है. हालांकि मरीज को ठीक करने की खुशी हमें लगातार कई घंटों तक डटे रहकर काम करने का हौंसला देती है. 


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