Suchitra Sen Birth Anniversary: देखें हिंदी सिनेमा की पहली `Paro` की हिट फिल्में

6 अप्रैल 1931 को रोमा दासगुप्ता के रूप में जन्मी बंगाली सिनेमा की सबसे मशहूर अभिनेत्रियों में से एक सुचित्रा सेन आज भी अपने प्रशंसकों के दिलों में जिंदा हैं.

राज रानी Sat, 06 Apr 2024-11:14 am,
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Devdas (1955)

देवदास 1955 में बिमल रॉय द्वारा निर्देशित फिल्म है, जो शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास देवदास पर आधारित है. फिल्म में दिलीप कुमार शीर्षक भूमिका में थे और सुचित्रा सेन अपने बॉलीवुड डेब्यू में पार्वती के रूप में मुख्य भूमिका में थीं. 2005 में, इंडियाटाइम्स मूवीज़ ने इस फिल्म को शीर्ष 25 अवश्य देखी जाने वाली बॉलीवुड फिल्मों में स्थान दिया. 

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Aandhi (1975)

1975 में आई इस फिल्म का निर्देशन गीतकार गुलजार ने किया था. कहा जाता है कि यह तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित थी, इस फिल्म को श्रीमती गांधी के कार्यकाल के दौरान पूर्ण रिलीज की अनुमति नहीं दी गई थी और 1975 के आपातकाल के दौरान इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. 1977 का चुनाव हारने के बाद अंततः यह फिल्म प्रदर्शित हुई.

 

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Bombai Ka Babu (1960)

बॉम्बे का बाबू 1960 में आई राज खोसला द्वारा निर्देशित और राजिंदर सिंह बेदी द्वारा लिखित हिंदी फिल्म है. फिल्म में देव आनंद और सुचित्रा सेन ने हिंदी सिनेमा में अपनी दुर्लभ भूमिका निभाई है. मुकेश के 'चल री सजनी, अब क्या सोचे' और मोहम्मद के 'दीवाना मस्ताना हुआ दिल' जैसे क्लासिक गानों के साथ। रफी और आशा भोसले की यह फिल्म एक संगीतमय उत्कृष्ट कृति थी. 

 

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Mamta (1966)

असित सेन द्वारा निर्देशित 1966 की हिंदी फिल्म , यह सेन की 1963 में निर्मित उत्तर फाल्गुनी की रीमेक थी. यह आशुतोष मुखोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित थी। सेन ने दोनों संस्करणों में मुख्य भूमिका निभाई. जहां बंगाली फिल्म में विकास रॉय मुख्य भूमिका में थे, वहीं हिंदी संस्करण में धर्मेंद्र थे.

 

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Sarhad (1960)

शंकर मुखर्जी की सरहद में देव आनंद, सुचित्रा सेन, अनवर हुसैन और रागिनी प्रमुख भूमिका में हैं. कहानी अमर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने पिता की पिटाई के बाद एक आदिवासी समूह के साथ जंगल में शरण लेता है. वर्षों बाद, वह समूह का नेता बन जाता है और उसकी मुलाकात उसके बूढ़े पिता से होती है, जो अपने साथ माला नाम की एक लड़की को लेकर आये थे.

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Harano Sur (1957)

उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन को एक साथ देखना अद्भुत है. एक ट्रेन दुर्घटना का शिकार होने के बाद, आलोक (उत्तम कुमार) को पागलखाने में जाना पड़ता है. वहां एक डॉक्टर कुछ बड़े कदम उठाता है, जिससे उसकी हालत और खराब हो जाती है. एक जूनियर डॉक्टर के रूप में सुचित्रा सेन उसे बचाती है और धीरे-धीरे उससे प्यार करने लगती है.

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