कुलवंत सिंह/यमुनानगर  : आज पूरा देश वतन पर हंसकर जान न्योछावर करने वाले शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को नमन कर रहा है. 23 मार्च 1931 को आज के ही दिन ब्रिटिश सरकार ने तीनों क्रांतकारियों को लाहौर की जेल में फांसी दे दी थी. 


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शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पर मिटने वालों का बाकी यही निशां होगा," देशभक्ति की इन्हीं पक्तियों को सार्थक कर रहा है रादौर के गांव गुमथला राव में बना अपने तरह का एक अलग इंकलाब मंदिर. यहां भगवान नहीं बल्कि शहीदों को पूजा जाता है. ऐसा भी नहीं कि लोग देश की आजादी के लिए मर मिटने वाले क्रांतिकारियों को सिर्फ शहीदी व जयंतियों पर ही याद करते हैं, बल्कि यहां प्रतिदिन इन शहीदों को नमन किया जाता है.


शहीदी दिवस पर आज सुबह हरियाणा के यमुनानगर में अपने अलग तरीके से बने इंकलाब मंदिर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां आजादी के मतवालों की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान केंद्र सरकार से देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को संवैधानिक रूप से शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग की गई.


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आजादी कैसे मिली, यह समझने के लिए बनाया मंदिर 


इंकलाब मंदिर के संस्थापक एडवोकेट वरयाम सिंह ने बताया कि आने वाली पीढ़ियां भी शहीदों के बलिदान को याद रख सकें, इसी सोच के साथ करीब 21 वर्ष पहले गांव में इंकलाब मंदिर की स्थापना की गई थी, ताकि आने वाली पीढ़ियां जान सकें कि शहीदों ने कैसे अपने प्राणों की आहुति देकर हमें आजादी दिलाई थी.


उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि शहीदों की सवैधानिक रूप से शहीद का दर्जा दिया जाए, सही मायने में यही उन वीर शहीदों व क्रांतिकारी वीरांगनाओं के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी.