नंदलाल/नालागढ़: हिमाचल कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश में 300 यूनिट बिजली फ्री देने की गारंटी को अभी पूरा नहीं किया है. हालांकि अभी प्रदेश में पूर्व भाजपा सरकार की 125 यूनिट बिजली ही लोगों को फ्री दी जा रही है, जिसका खामियाजा अब कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. बता दें, राज्य बिजली बोर्ड के 52 साल के करियर में पहली बार कर्मचारियों का दिसंबर माह का वेतन नहीं दिया गया है, जिसके चलते कर्मचारियों में खासा रोष देखा जा रहा है.


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प्रदेशभर के कर्मचारियों ने हिमाचल प्रदेश के बिजली बोर्ड के दफ्तरों के बाहर 1 जनवरी से 2 जनवरी तक धरना प्रदर्शन किया. इसी के चलते नालागढ़ बिजली बोर्ड के कार्यालय के बाहर भी बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने इकट्ठा होकर बिजली बोर्ड व सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अपना रोष प्रदर्शन किया. 


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इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने बिजली बोर्ड और सरकार पर बिजली बोर्ड को निजीकरण करने के भी गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड पहले सरकारों को लोन दिया करता था, लेकिन अब सरकार और बिजली बोर्ड की गलत नीतियों के चलते बिजली बोर्ड को कंगाल कर दिया गया है और बोर्ड को भिखारी बना कर रख दिया है. 


इस दौरान कर्मचारियों ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने 125 यूनिट बिजली फ्री कर दी, लेकिन इसका खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. अगर सरकार की ओर से दी गई 300 यूनिट बिजली फ्री की गारंटी को पूरा किया गया तो कर्मचारी सड़कों पर आ जाएंगे और उनका हाल बेहाल हो जाएगा.


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उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बिजली बोर्ड मैनेजमेंट छुट्टी पर चली गई है और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली दौरे पर चले गए हैं. ऐसे में फिलहाल उनकी जगह सुनवाई करने वाला कोई नहीं है. साथ ही कहा कि अगर जल्द ही उनका वेतन समय पर नहीं दिया गया तो प्रदेश में सभी बिजली बोर्ड के कर्मचारी एकत्रित होकर उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार और बिजली बोर्ड की होगी.


नालागढ़ बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ के अध्यक्ष देवेंद्र संधू ने बताया कि पूरे प्रदेश में 1 जनवरी से 2 जनवरी तक सभी बिजली बोर्ड के दफ्तरों के बाहर वेतन न मिलने को लेकर प्रदर्शन किया गया था, जिसे लेकर अब सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया है कि सोमवार तक सभी कर्मचारियों का वेतन उन्हें मिल जाएगा. इस दौरान पेंशन देने की भी बात कही गई. उन्होंने कहा है कि अगर जल्द ही उनका वेतन नहीं दिया गया तो वह पूरे प्रदेश में एकत्रित होकर उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे. 


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