टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट में संशोधन, 1000 वर्ग मीटर या अधिक के भूखंडों को कवर करने के लिए विधेयक पेश
Shimla News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट में संशोधन के लिए मंत्री राजेश धर्माणी विधेयक पेश किया. पढ़ें पूरी डिटेल..
Shimla News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट के तहत 1,000 वर्ग मीटर से अधिक के सभी भूखंडों को शामिल करने के लिए एक संशोधन विधेयक पेश किया.
विधेयक में टाउन एंड कंट्री डेवलपमेंट अथॉरिटी और स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी, सरकारी निकाय जो शहरों और उपनगरों में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की देखरेख करते हैं. इनके अधिकार क्षेत्र से बाहर के भूखंडों को भी शामिल किया गया है. टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के मंत्री राजेश धर्माणी द्वारा पेश किए हिमाचल प्रदेश टाउन एंड प्लानिंग (संशोधन) विधेयक 2024, अधिनियम के तहत कवर किए गए न्यूनतम प्लॉट आकार को 2,500 वर्ग मीटर से घटाकर 1,000 वर्ग मीटर करके हिमाचल टाउन एंड कंट्री प्लानिंग अधिनियम 1977 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है.
यानी अब प्रदेश की तमाम तरह की भूमि भवन निर्माण अगर 1,000 वर्ग मीटर या इससे अधिक भूमि पर हो रहा है तो TCP की NOC लेना अनिवार्य होगा. बाढ़, भूस्खलन और इमारतों के ढहने जैसे नुकसान को कम करने के मकसद से यह बदलाव लाया गया है. हिमाचल प्रदेश में नदी-नालों , पहाड़ की ढलान व भू-स्खलन प्रभावित इलाकों में बिना रोकटोक के बड़ी-बड़ी इमारतें व भवन निर्माण जारी है. जिसकी वजह से पिछले कुछ वर्षों में बारिश, बाढ़, भू-स्खलन की चपेट में भारी जान-माल का नुकसान प्रदेश ने झेला है.
मंत्री राजेश धर्माणी ने जानकारी देते हुए बताया की टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीसीपी) अधिनियम में संशोधन का उद्देश्य इमारतों की संरचनात्मक स्थिरता और उचित जल निकासी व्यवस्था सुनिश्चित करना है. यह कदम हाल के वर्षों में राज्य में आए विनाशकारी भूस्खलन और बाढ़ के जवाब में उठाया गया है.
सरकार को उम्मीद है कि सख्त नियमों से बेतरतीब निर्माण पर रोक लगाने में मदद मिलेगी, जिसे अक्सर इन प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ाने के लिए दोषी ठहराया जाता है. संशोधित कानून के तहत, 1,000 वर्ग मीटर से अधिक की किसी भी निर्माण परियोजना को अब टीसीपी विभाग से मंजूरी लेनी होगी. यह निर्दिष्ट योजना क्षेत्रों के बाहर की संपत्तियों पर भी लागू होता है.
हालांकि इस कदम का कई लोगों ने स्वागत किया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों, खासकर लाहौल-स्पीति जैसे दूरदराज के जिलों में इसके प्रभाव को लेकर चिंताएं जताई गई हैं. सरकार ने आश्वासन दिया है कि छोटे भूखंडों पर बहुमंजिला इमारतों को प्रतिबंधित करने के लिए दिशानिर्देश विकसित किए जाएंगे. इसका उद्देश्य जमीनी स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए निर्माण को ढाई या तीन मंजिल तक सीमित करना है.
संशोधन को कुछ लोगों के विरोध के बावजूद राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया गया. जिन्होंने अधिक गहन समीक्षा की मांग की थी. सरकार ने तर्क दिया कि परिवर्तन केवल मौजूदा नियमों का विस्तार थे और इसमें देरी की आवश्यकता नहीं थी.
स्टोरी बाई- संदीप सिंह, शिमला