Shimla News: पालमपुर के कारोबारी निशांत शर्मा मामले को लेकर आज हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें मुख्यत चार बिंदुओं पर बहस हुई. सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल ने मामले को लेकर स्टेट्स रिपोर्ट हाई कोर्ट में दाखिल की. जिसके बाद हाईकोर्ट ने मामले को लेकर की जा रही जांच का रिकॉर्ड जमा करने के निर्देश सरकार को दिए हैं और 4 दिसंबर को मामले को लेकर अगली सुनवाई की तारीख तय की है. 


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मामले को लेकर जानकारी देते हुए एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने बताया कि कोर्ट के निर्देश पर कारोबारी की शिकायत पर कांगड़ा में एफआईआर दर्ज की गई है और डीएसपी रैंक का अधिकारी इस मामले की जांच कर रहा है, लेकिन अब सरकार ने एएसपी रैंक के अधिकारी से मामले से जांच करवाने का कोर्ट में आश्वासन दिया है. साथ ही कोर्ट ने जो जांच के रिकॉर्ड मांगे हैं. उसकी प्रतिलिपि भी सरकार एक से दो दिन में कोर्ट में जमा करवाएगी और कारोबारी की सुरक्षा को लेकर भी सरकार ने कोर्ट में आश्वासन दिया है कि कारोबारी को दो कांस्टेबल सुरक्षा के लिए मुहैया करवाए जाए और अगर कोई भी जरुरत होगी तो भी सुरक्षा दी जाएगी.  अब 4 दिसंबर को मामले को लेकर दोनों पक्षों को सुना जाएगा. 


यहां जानें क्या है पूरा मामला
आपको बता दें, कि कारोबारी निशांत शर्मा के मुताबिक उन पर गुरुग्राम में हमला हुआ. जिसको लेकर गुरुग्राम में एफआईआर दर्ज करवाई गई. इसके बाद उन्हें मैक्लोडगंज में मामला वापस लेने लिए दो लोगों ने धमकाया. वहीं,   निशांत शर्मा का कहना है कि उन्हें डीजीपी कार्यालय से 14 बार फोन किया गया. इसके अलावा पालमपुर के डीएसपी और एसएचओ ने भी उन पर डीजीपी से बात करने का दबाव बनाया. जब उन्होंने डीजीपी से बात की, तो उन्हें डीजीपी ने शिमला बुलाया. 


ऐसे में कारोबारी निशांत शर्मा का आरोप ये है कि जब वह डीजीपी को जानते ही नहीं है, तो आखिर उन्हें शिमला क्यों बुलाया गया है.  वहीं, इसपर डीजीपी संजय कुंडू ने भी  कारोबारी निशांत शर्मा के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करवा दिया.