Bilaspur News: देश में लगातार बढ़ रही महंगाई, बेरोजगारी, एवं श्रम कानूनों की अनदेखी के खिलाफ एटक, इंटक एवं सीटू के कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला है. श्रम संगठनों ने संयुक्त रूप से लक्ष्मी नारायण मंदिर से बस स्टैंड से होते हुए शहीद स्मारक व उपायुक्त कार्यालय परिसर तक रोष रैली निकालकर जमकर धरना प्रदर्शन किया. 


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वहीं, इस दौरान एटक के राज्य महासचिव प्रवेश चंदेल, इंटक के जिला अध्यक्ष रूप सिंह ठाकुर, इंटक महासचिव जगतार सिंह बैंस, सीटू नेता लखनपाल शर्मा सहित अन्य श्रम नेताओं ने कहा कि श्रम संगठनों की संयुक्त फोर्म द्वारा हर साल 9 अगस्त को पूरे देश में धरना प्रदर्शन किया जाता है.  क्योंकि इसी दिन महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन शुरू किया गया. 


वहीं, उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लगातार अंग्रेजों की नीतियां अपनाते हुए देश में श्रमिकों को धर्म व संप्रदायों के बीच बांटने का प्रयास किया जा रहा है ताकि लोगों का ध्यान भटकाया जा सके. पूरे देश में ना तो मजदूरों को मनरेगा में काम दिया जा रहा हैं बल्कि सामाजिक कल्याण बोर्ड को कमजोर करने का काम किया जा रहा है.  वहीं देश की सार्वजनिक संपतियों को चहेतों को बेचाने का भी आरोप श्रम नेताओं द्वारा केंद्र सरकार पर लगाया गया है. 


वहीं श्रमिक नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार ने श्रमिकों से जुड़े 40 कानूनों को समाप्त करने का प्रयास किया है और देश की सार्वजनिक संपतियों को बेचने का काम शुरू किया है.  वहीं उन्होंने केंद्र सरकार से समाप्त किए गए 40 कानूनों को जल्द लागू करने की मांग की है.  नहीं, तो मोदी सरकार को इसका हर्जाना 2024 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा.


साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार से 23 फरवरी 2023 को जारी अधिसूचना को वापिस लेने की मांग भी की है.  वहीं इन नेताओं ने इसके अलावा सरकार से आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए तत्काल उपाय करने और न्यूनतम वेतन के रूप में 20 हजार रुपए तय करने, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के निजीकरण के अभियान को छोड़ना और श्रम कानून में संशोधन को रद्द करने सहित अन्य मांगों पर गौर करने की अपील की है.  इस अवसर एटक, इंटक एवं सीटू ने संयुक्त रूप से उपायुक्त बिलासपुर के माध्यम से राष्ट्रपति एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा है.