Bilaspur News: सामरिक एवं पर्यटन की दृष्टि से अति महत्वकांशी परियोजना भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेल लाइन के बकाया 1,800 करोड़ रुपये को लेकर अब बयानबाजी का दौर लगातार जारी है. जी हां 24 नवंबर को बिलासपुर के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे केंद्रीय खेल एवं सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन को लेकर जहां हिमाचल सरकार का केंद्र सरकार के प्रति 1,800 रुपये की बकाया राशि होने व इस धनराशि का जल्द भुगतान करने की बात कही थी, तो वहीं घुमारवीं से कांग्रेस विधायक राजेश धर्माणी ने इस पर पलटवार करते हुए भारत सरकार का प्रोजेक्ट होने के बावजूद रेल लाइन निर्माण को लेकर केंद्र ने अपने हाथ पीछे खींचते हुए जबरदस्ती प्रदेश सरकार पर कुल प्रोजेक्ट का 75 प्रतिशत वहन करने के आदेश जारी कर दिए हैं. 


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साथ ही विधायक राजेश धर्माणी का कहना है कि हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य हैं जिसके सीमित साधन हैं, इसके साथ ही प्रदेश की जनता भारी प्राकृतिक आपदा से जूझी है. ऐसे में प्रदेश सरकार केंद्र से कोई विशेष मदद ना मिलने पर अपने सीमित साधनों के जरिये ही प्राकृतिक आपदा प्रभावित लोगों को मदद करने में जुटी हुई है और इस पर रेलवे प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा 1,800 करोड़ रुपये का भुगतान करने की मांग गलत है.


उन्होंने कहा कि भानुपल्ली-बिलासपुर रेलवे प्रोजेक्ट को लेकर प्रदेश सरकार अब तक 1,300 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है और हिमाचल प्रदेश की वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रेलवे प्रोजेक्ट पर खर्च हुए 1,300 करोड़ रुपये रिफंड करने व रेलवे प्रोजेक्ट को पूरा कर प्रदेश की जनता को समर्पित करने की अपील की है. 


इसके साथ ही विधायक ने कहा कि घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र में कूड़ा संयंत्र व सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर प्रदेश सरकार विशेष कदम उठाने जा रही है, जिसके तहत जहां एक ओर 8.50 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजट से घुमारवीं क्षेत्र में तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु से मंजूरी मिल गई है. जिसको लेकर टेंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. साथ ही पुरानी सीवरेज व्यवस्था को भी दुरुस्त किया जाएगा, जिसको लेकर वह लगातार विभागों के अधिकारियों केके साथ बैठक कर चर्चा कर रहे हैं. 


वहीं राजेश धर्माणी ने कहा कि पैकेज आईटम व प्लास्टिक के लगातार बढ़ रहे इस्तेमाल और उसके प्रबंधन व उसे नष्ट करना एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है. जिसके निवारण के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत है और शहरी व ग्रामीण इलाकों के केंद्र बिंदु पर इंटीग्रेटेड सॉलिड बेस्ट मैनेजमेंट सेंटर स्थापित किया जाए. जिसको लेकर एफसीए के माध्यम से जमीन चयन के लिए सरकार को भेजा गया है और शहरी विकास विभाग के नाम पर जमीन स्थानांतरित होने के बाद वहां इंटीग्रेटेड सॉलिड बेस्ट मैनेजमेंट सेंटर बनाकर जनता की समस्या का निवारण कर दिया जाएगा.