विपन कुमार/धर्मशाला: तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाईलामा की आज मंगलवार से दो दिवसीय शिक्षा शुरू हो गई है. इस शिक्षा में रशिया, अमेरिका, यूरोप, मंगोलिया सहित देश- विदेश सहित कई बौद्ध भिक्षु हिस्सा ले रहें है. मंगलवार से शुरू हुई दलाईलामा की इस शिक्षा में हिस्सा लेने आए बौद्ध भिक्षुओं का उत्साह आज देखने लायक था. 


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एक ओर जहां धर्मशाला व मैक्लोडगंज में देर रात से ही तेज हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश हो रही थी, वहीं जब मंगलवार सुबह करीब 8 बजे दलाईलामा की शिक्षा का कार्यक्रम शुरू होने लगा तो तेज तूफान के साथ फिर से भारी बारिश शुरू हो गई, लेकिन खराब मौसम के बाबजूद भी भारी संख्या में बौद्ध भिक्षु इस कार्यक्रम में पहुंचे और दलाईलामा के प्रवचनों को सुना. तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने एशियाई लोगों के समूह के अनुरोध पर ऑटोकमेंट्री के संयोजक में चंद्रकीर्ति के मध्य मार्ग के प्रवेश पर पिछले साल की शिक्षा को जारी रखा. 


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अपनी शिक्षा में तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि सभी मनुष्यों को इंसानो सहित पशु पक्षियों से भी स्नेह दिखाना चाहिए. अगर मनुष्य इंसानो और पशु पक्षियों के प्रति अपना स्नेह दिखाता है तो इससे मनुष्य की प्रवित्ति में प्रेम जागेगा और जब मनुष्य की प्रवित्ति में प्रेम की स्थापना हो जाएगी तो निश्चित रूप से पूरे विश्व मे शांति और अमन का माहौल बनेगा, लेकिन इससे पहले मनुष्य को अपने व्यवहार में बदलाव लाने की आवश्यकता है.


तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा की शिक्षा में मुंबई से हिस्सा लेने आई सिद्धि ने कहा कि वह एक लंबे समय से इस शिक्षा सत्र में भाग लेने के लिए कोशिश कर रही थीं, लेकिन वह किन्हीं कारणों से इस शिक्षा सत्र में नहीं आ पा रही थीं, लेकिन आज उन्हें दलाईलामा द्वारा आयोजित शिक्षा सत्र में भाग लेने का मौका मिला है. यहां आकर वह अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि जो शिक्षा तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा द्वारा दी गई है उन्हें वह अपने जीवन में लाने का पूरा प्रयास करेंगी.


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वहीं, ऑस्ट्रिया से आई टिमयिया ने कहा कि दलाईलामा द्वारा आयोजित इस शिक्षा सत्र में भाग लेकर वह काफी खुश हैं. दलाईलामा द्वारा दी गई शिक्षाओं को वह अपने जीवन मे जरूर अपनाएंगी. उन्होंने कहा कि दलाईलामा को पूरे विश्व मे शांति का संदेश देने वाले व्यक्ति के रूप में पहचाना जाता है. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व मे शांति बनी रहे इसके लिए उन्होंने आज बौद्ध मठ में प्रार्थना भी की है.


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