विपन कुमार/धर्मशाला: ग्लोबल सिटी मैक्लोडगंज में विदेशी सैलानियों के लिए तीन दिवसीय मेले का आयोजन हो रहा है. आज से बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा की विश्वव्यापी टीचिंग शुरू हो गई हैं. दलाईलामा ने आज महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं पर नजर डालते हुए अपने अनुयायियों को कई जातक कथाएं सुनाईं. उन्होंने बताया कि कैसे अल्पकाल में ही महात्मा बुद्ध ने आध्यात्मिक शांति का मार्ग खोजते हुए कई हिंसक लोगों को भी अपने पथ पर अग्रसर किया था.


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अपने अमृततुल्य शब्दों से अनुयायी को किया निहाल 
विश्व शांति क्यों जरूरी है, महात्मा बुद्ध की शिक्षाएं कैसे दुनिया और समाज को शांति का पाठ पढ़ाती हैं, इस बारे में भी उन्होंने अपना बोद्धचित प्रदान किया. लंबे अरसे के बाद आज सुबह करीब 8 बजे दलाईलामा अपने बौद्ध मठ मंदिर में सार्वजनिक तरीके से शामिल हुए. उन्होंने यहां पहुंचे हर अनुयायी को अपने अमृततुल्य शब्दों से निहाल किया. इस दौरान अलग-अलग देशों से धर्मशाला मैक्लोडगंज पहुंचे दलाईलामा के अनुयायियों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं साझा कीं. 


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दूर-दूर से आए दलाईलामा के अनुयायी
हंगरी से आई आना ने बताया कि वो अपने आप को भाग्यशाली मान रही हैं जो उन्हें दलाईलामा के अनमोल वचन सुनने को मिले. वहीं, यूनाइटेड स्टेट से आई एक महिला अनुयायी ने कहा कि वह सिर्फ दलाईलामा के अनमोल वचन सुनने के लिए इतनी दूर से यहां आई हैं. इस विदेशी महिला ने कहा कि उन्हें पहली बार यह मौका मिला है. 


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दलाईलामा की वजह से सही राह पर आना हुआ संभव 
इसके अलावा जर्मनी से आए डेविड ने कहा कि वो गलत रास्ते पर चल रहे थे, लेकिन अब वो खुद को भाग्यशाली मानते हैं जो उन्हें यहां दलाईलामा के अनुयायी बनकर उनकी टीचिंग्स सुनने का मौका मिला है. डेविड ने बताया कि दलाईलामा ने क्या कुछ कहा ये एक-एक शब्द बताना तो मुश्किल है, लेकिन उन्होंने जो कुछ कहा वो दिल को छूने वाला था. डेविड ने कहा कि आज मैं नेक रास्ते पर चल रहा हूं और यह सब केवल दलाईलामा की वजह से ही संभव हो पाया है. 


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