Dharamshala News: धर्मशाला चाय उद्योग इस बार उत्पादन में 28 हजार किलोग्राम के करीब पीछे चल रहा है. वहीं उद्योग प्रबंधन ने इस वर्ष 1.35 लाख किलोग्राम से अधिक उत्पादन की संभावना जताई है, जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले कम होगा.  धर्मशाला चाय उद्योग में कोरोना काल यानी वर्ष 2020 में अब तक का सबसे अधिक 1 लाख 69 हजार 21 किलोग्राम चाय उत्पादन दर्ज किया गया था. 


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इस वर्ष बरसात में अभी तक कम बारिश होने के चलते उत्पादन में कमी की संभावना जताई जा रही है.  उद्योग प्रबंधन की मानें, तो अच्छी बारिशें भी होती हैं तो ज्यादा से ज्यादा 1.40 लाख किलोग्राम चाय उत्पादन की संभावना है. इससे ज्यादा उत्पादन नहीं हो पाएगा. पिछले वर्ष धर्मशाला चाय उद्योग में 1 लाख 65 हजार 15 किलोग्राम चाय उत्पादन हुआ था तथा जुलाई माह के मध्य तक 75 हजार किलोग्राम चाय बन चुकी थी, जबकि इस बार अब तक 47 हजार किलोग्राम चाय उत्पादन ही हो पाया है. 


पिछले चौदह वर्षों में चाय उत्पादन पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2010 से लगातार उत्पादन में इजाफा हो रहा था. जबकि वर्ष 2018 और वर्ष 2021 में उत्पादन में कमी आई थी. पिछले वर्ष फिर उत्पादन अच्छा रहा था, लेकिन इस बार कमी की संभावना जताई जा रही है.


कांगड़ा चाय को यूरोपियन यूनियन (ईयू) का जीआई टैग मिले एक साल से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक यूरोप में कांगड़ा चाय की डिमांड नहीं बढ़ पाई है. जीआई टैग मिलने के बाद यूरोप में खरीददारों व एक्सपोटर्स को यह तो पता चल गया है कि कांगड़ा चाय कहां बनती है. बावजूद इसके यूरोपियन देशों में कांगड़ा चाय की डिमांड नहीं बढ़ी है.  यहां जिक्र करना जरूरी है कि धर्मशाला में निर्मित होने वाली कांगड़ा चाय को फ्रांस से 2 हजार किलोग्राम का ऑर्डर मिला है. 


धर्मशाला चाय उद्योग को हर वर्ष फ्रांस व जर्मनी से चाय के ऑर्डर आते हैं, जिसकी शुरूआत इस बार 2 हजार किलोग्राम से हुई है, जिस पर चाय उद्योग प्रबंधन सितंबर माह में फ्रांस के लिए कांगड़ा चाय भेजेगा. विदेश से ब्लैक और फ्लेवर्ड चाय की ही डिमांड रहती है. 


धर्मशाला चाय उद्योग प्रबंधन के अनुसार, पूर्व में फ्रांस और जर्मनी से धर्मशाला में निर्मित होने वाली चाय के ढाई से तीन हजार किलोग्राम के ऑर्डर मिलते रहे हैं. यूरोपियन यूनियन का जीआई टैग मिलने के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि डिमांड में बढ़ोतरी होगी, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नजर नहीं आया है. देश के नामचीन होटलों में कांगड़ा चाय की अच्छी डिमांड है. नामचीन होटलों की ओर से अपने स्तर पर उद्योग से कांगड़ा चाय मंगवाई जाती है. 


ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया एवं स्पेन यूरोपियन यूनियन  के सदस्य देश हैं, जबकि कांगड़ा चाय की डिमांड फ्रांस और जर्मनी से पहले भी आती रही है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जीआई टैग मिलने के बाद भी यूरोपयिन यूनियन के अन्य देशों ने कांगड़ा चाय में अभी तक दिलचस्पी नहीं दिखाई है. 


यूरोपियन यूनियन से कांगड़ा चाय को मिले जीआई टैग का अभी तक कोई बड़ा फायदा चाय उद्योग को नहीं मिला है. इतना जरूर है कि यूरोप में अब कांगड़ा चाय को लोग जानने लगे है. साथ ही यूरोपियन देशों के खरीददारों व एक्सपोटर्स को यह पता चल गया है कि कांगड़ा चाय कहां बनती है. फ्रांस से अभी तक 2 हजार किलोग्राम का ऑर्डर मिला है, जो कि सितंबर में भेजा जाएगा.


रिपोर्ट- विपिन कुमार, धर्मशाला