महादेव पर भूलकर भी न चढ़ाए ये चीजें, वरना सावन में पूजा का नहीं मिलेगा फल..!
अगर आप भी देवों के देव महादेव की पूजा करने के दौरान शिवलिंग पर चढ़ाते हैं ये चीजें, तो ऐसा भूलकर भी ना करें, नहीं तो हो सकता है अनार्थ. शास्त्रानुसार शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, चंदन, अक्षत, शमीपत्र आदि अनेक शुभ वस्तुएं चढ़ाने से शंकर भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं.
चंडीगढ़- काल भी तुम महाकाल भी तुम...लोक भी तुम त्रिलोक भी तुम...सत्यम भी तुम और सत्य भी तुम. भोलेनाथ, महादेव, शिव शंकर, नीलकंठ, महाकाल सैकड़ों नामों से जाने वाले शिवजी को यह समर्पित सावन का महीना आने वाला है.
14 जुलाई से श्रावण माह प्रारंभ हो रहा है. यह महीना भगवान शिव को समर्पित है और इस पूरे महीने शिव भक्त भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, बदले में सदाशिव उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.
अगर आप भी देवों के देव महादेव की पूजा करने के दौरान शिवलिंग पर चढ़ाते हैं ये चीजें, तो ऐसा भूलकर भी ना करें, नहीं तो हो सकता है अनार्थ. शास्त्रानुसार शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, चंदन, अक्षत, शमीपत्र आदि अनेक शुभ वस्तुएं चढ़ाने से शंकर भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं.
तुलसी के पत्ते...
तुलसी के पत्तों को लक्ष्मी माना जाता है. देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और इसी वजह से इन्हें अन्य भगवान को चढ़ाना वर्जित होता है. पौराणिक कथा के अनुसार जालंधर नाम के राक्षस से सब परेशान थे, लेकिन उसे मारा नहीं जा सकता था, क्योंकि उसकी पतिव्रता पत्नी वृंदा के तप जुड़ी हुई थी. उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता था. तब विष्णु जी ने छल से वृंदा के पति का रूप धारण कर तप भ्रष्ट कर दिया और भगवान शिव ने जलंधर का वध किया. तभी से तुलसी ने स्वयं भगवान शिव जी के पूजन सामग्री में न शामिल होने की बात कही थी.
केतकी के पुष्प
शिवपुराण की कथा के अनुसार केतकी फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में साथ दिया था,जिससे रुष्ट होकर भोलनाथ ने केतकी के फूल को श्राप दिया और कहा कि शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा. इसी श्राप के बाद से शिव को केतकी के फूल अर्पित किया जाना अशुभ माना जाता है.
शिवलिंग पर न चढ़ाएं हल्दी
शिवजी को कभी भी हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि हल्दी को स्त्री से संबंधित माना गया है और शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, ऐसे में शिव जी की पूजा में हल्दी का उपयोग करने से पूजा का फल नहीं मिलता है.
इसी वजह से शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है. ये भी मान्यता है कि हल्दी की तासीर गर्म होने के कारण इसे शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित माना जाता है इसलिए शिवलिंग पर ठंडी वस्तुएं जैसे बेलपत्र,भांग,गंगाजल,चंदन,कच्चा दूध चढ़ाया जाता है.
कुमकुम
शिवलिंग पर कभी भी कुमकुम नहीं लगाना चाहिए. महादेव वैरागी हैं और वैरागी लोग अपने माथे पर राख लगाते हैं. सभी लोग ये भी जानते हैं कि शिव जी अपने माथे पर भस्म लगाते हैं. विवाहित स्त्रियां कुमकुम लगाती हैं और शिव पुराण में महादेव को विनाशक कहा गया है. इस वजह से भी शिव जी को कुमकुम लगाने की मनाही है.
शंख
महादेव की पूजा में न शंख बजाना चाहिए और न ही शंख से उन पर जल अर्पित करना चाहिए. मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था. तभी से शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है. चूंकि शंखचूड़ विष्णु भक्त था इसलिए विष्णु भगवान की पूजा में शंख बजाया जाता है पर महादेव की पूजा में इसका इस्तेमाल वर्जित होता है.
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