मनीष ठाकुर/कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में मौसम की बेरुखी ने किसानों-बागवानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. करीब साढ़े तीन माह से बारिश नहीं होने से बागवान गोबर और खाद बगीचों में नहीं डाल पा रहे हैं. इस कारण सेब, नाशपाती, प्लम और अनार की फसलों के उत्पादन पर असर पड़ सकता है. बगीचों में नमी न होने से गोबर और खाद मिक्स नहीं हो पाती है, जिससे पौधों को नुकसान होता है. लंबे समय से बारिश न होने से बागवानी और कृषि के कार्य समय पर नहीं होने से उत्पादन पर असर पड़ने के आसार हैं. 


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बीजी गई फसल भी बिना बारिश के सूखने की कगार पर  
किसानों का कहना है कि बीजी गई फसल भी बिना बारिश सूखने की कगार पर है. इसकी वजह से फसल को नुकसान हो रहा है. बगीचों में तौलिए और गड्ढे बनाने का काम नहीं हो रहा है. बागवान बारिश के लिए देवी-देवताओं से फरियाद कर रहे हैं, लेकिन इंद्रदेव भी मेहरबान नहीं हो रहे हैं. जिला में 80 प्रतिशत लोग खेतीबाड़ी पर निर्भर करते हैं.


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अगर जल्द ना हुई बारिश तो बर्बाद हो जाएगी फसल
बागवान ओम ने कहा कि साढ़े तीन माह से बारिश न होने से बागवानी और कृषि के काम रुके हुए हैं. नमी न होने से खाद, गोबर और नए पौधे लगाने के लिए गड्ढे बनाने का काम नहीं हो रहा है. किसान सभा के उपाध्यक्ष देवराज नेगी ने कहा कि इस बार लंबे समय से बारिश न होने से रबी फसल की बिजाई नहीं हो पाई है. समय पर बिजाई न होने से उत्पादन पर असर पड़ेगा. बागवानी विभाग के विषय विशेषज्ञ उत्तम पराशर बताते हैं कि बारिश न होने से बागवानी के कार्य प्रभावित हो रहे हैं. अगर जल्द ही बारिश नहीं होती है तो इसका असर फसल पर पड़ सकता है.


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