विजय भारद्वाज/बिलासपुर: बीते कुछ दिनों से बिलासपुर जिला में रुक-रुक कर हो रही बारिश के बाद अब सूंडी कीट ने मक्की की फसल को बर्बाद करना शुरू कर दिया है, जिसके चलते किसानों की चिंता बढ़ गई है. वहीं, किसानों को इससे पहले गेहूं की फसल में भी नुकसान उठाना पड़ा था. पहले बारिश के चलते समय पर मक्की की बिजाई नहीं हो पाई और अब सूंडी कीट से मक्की की फसल को काफी नुकसान हो रहा है. 


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गौरतलब है कि बिलासपुर जिला में 26 हजार हेक्टेयर जमीन पर मक्की का उत्पादन होता है. इससे पहले जिला में 40 हजार मीट्रिक टन गेहूं की पैदावार का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इस बार 26 हजार 400 मीट्रिक टन फसल का ही उत्पादन हो पाया था. वहीं, अब मक्की की फसल पर सुंडी कीट से फसल की बर्बादी का संकट गहराने लगा है. 


क्लोरोपाइरीफॉस और साईपर मेथ्रिन के घोल का करें स्प्रे
बता दें, बिलासपुर के कल्लर, छड़ोल व तनबौल सहित आस-पास के क्षेत्रों में सुंडी कीट के कारण मक्की की फसल बर्बाद हो गई है, जिसके मद्देनजर कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को सलाह दी है कि वे मक्की को बचाने के लिए क्लोरोपाइरीफॉस और साईपर मेथ्रिन के घोल का स्प्रे करें. इसके अलावा किसान कोरोजीन का स्प्रे भी कर सकते हैं.


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फसल के आसपास उगाएं ये फूल 
कृषि विभाग का मानना है कि इनका स्प्रे करने से मक्की की फसल को सुंडी कीट से बचाया जा सकता है. विभागीय विशेषज्ञों के मुताबिक, किसान बिजाई से पहले खेतों में गहरा हल चलाएं ताकि इस कीट के प्यूपे तेज धूप व पक्षियों द्वारा नष्ट किए जा सकें और अगर संभव हो तो 200 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से नीम की खली/पत्तियां भूमि पर डाल दें. इसके साथ ही खेतों की मेढ़ों को साफ रखें और आसपास गेंदा व सूरजमुखी के फूल उगाएं.  


पानी में दवाई मिलाकर इस दवा का करें छिड़काव
मक्की की बिजाई समय पर करें और मक्की की फसल के बीच में अरहर, लोबिया व माश जैसी अंतवर्तीय फसलें उगाएं. इसके अलावा सुंडी कीट लगने पर किसान कीट नाशक दवाईयों क्लोरोपरिफॉग व साइपर मैथ्रिन को इकट्ठा करके एक लीटर पानी में दो मिली लीटर दवाई मिलाकर छिड़काव कर करें.  


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विभाग के पास उपलब्ध हैं दवाइयां
इसके अलावा किसान कोरोजिन दवाई का छिड़काव भी कर सकते हैं. वहीं, कृषि विभाग बिलासपुर के उपनिदेशक नवीन सोनी ने बताया कि बिलासपुर जिला के सुंडी कीट प्रभावित क्षेत्रों में कीट नाशक दवाईयों का छिड़काव करवा दिया गया है. विभाग के पास संबंधित दवाईयां उपलब्ध हैं. किसान विभाग से इन दवाइयों को ले सकते हैं.


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