मनीष ठाकुर/कुल्लू: जिला मुख्यालय कुल्लू में मंगलवार को मजदूरों और किसानों ने सीटू और हिमाचल किसान सभा के बैनर तले धरना-प्रदर्शन किया. इस दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई. किसान सभा राज्य सचिव होतम सोंखला ने कहा कि इस तरह का प्रदर्शन देश भर में किया गया. किसान आंदोलन चार साल पहले 26 नवंबर को शुरू हुआ है. सरकार ने कुछ वादे किसानों से किए थे, जिनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ है. सरकार को वादे याद दिलाने के लिए यह प्रदर्शन किया गया है. 


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44 श्रम कानूनों को समाप्त कर चार नए कानून लाए हैं, जो मजदूर विरोधी हैं. उन्होंने कहा कि देश भर में मजदूरों के हो रहे शोषण और उनकी मांगों को सरकार द्वारा अनदेखा किया जा रहा है. इसी मुद्दे को लेकर जिला कुल्लू का मुख्यालय ढालपुर में सीटू और अन्य श्रम संगठनों द्वारा एक रोष रैली निकाली गई और डीसी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भी भेजा गया. 


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इस दौरान उपस्थित मजदूरों को संबोधित करते हुए सीटू के राज्य सचिव होतम सोखला ने कहा कि केंद्र सरकार का उद्देश्य कॉरपोरेट और अति अमीरों को समृद्ध करना है. उन्होंने कहा कि अब केंद्र सरकार को 12 सूत्रीय मांग पत्र भेजा गया हैं, जिसमें मांग रखी गई हैं कि मजदूरों, किसानों और सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद के साथ सी2 50% के अनुसार एमएसपी दी जाए. चार श्रम संहिताओं को निरस्त करें और श्रम की आउटसोर्सिंग और ठेकेदारी को समाप्त करें.


वही, संगठित, असंगठित, स्कीम वर्कर और अनुबंध मजदूरों एवं कृषि क्षेत्र सहित सभी मजदूरों के लिए 26,000 रुपये प्रति माह का राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन और 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन, सामाजिक सुरक्षा लाभ लागू करें. होतम सोखला ने कहा कि  किसान आत्महत्या को समाप्त करने के लिए व्यापक कर्ज मुक्ती, रक्षा, रेलवे, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली सहित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सार्वजनिक सेवाओं का निजीकरण बंद किया जाए. वहीं, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को खत्म किया जाए और प्रीपेड स्मार्ट मीटर समाप्त किया जाए. कृषि पंपों के लिए मुफ्त बिजली, घरेलू उपयोगकर्ताओं और दुकानों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाए.


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