Paonta Sahib: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में इस बार अदरक की बंपर फसल हुई है. उत्पादकों को फसल के दाम भी मन माफिक मिल रहे हैं, लेकिन फसल को बेचने में किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.  देश में अधिकतर फसलों को समर्थन मूल्य मिलने और विपणन की सरकारी व्यवस्था है. मगर, अदरक उत्पादक आज भी बिचौलियों के माध्यम से फसल बेचने को मजबूर है. 


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भोजन की थाली का स्वाद बढ़ाने वाले और कई प्रकार की दवाइयां का हिस्सा अदरक के सिरमौर जिले में इस बार बंपर फसल हुई है. फसल अच्छी होने से किसानों के चेहरे खुले हुए हैं.  क्षेत्र भर में अदरक उत्पादक अदरक की खुदाई के बाद पानी में धुलाई और पैकिंग करने में व्यस्त हैं.


वहीं, दिल्ली सहित उत्तर भारत की मंडियों से खरीदार क्षेत्र में पहुंच रहे हैं.  दूसरी अच्छी बात यह है कि इस बार अदरक उत्पादकों को फसल के अच्छे दाम भी मिल रहे हैं. कभी 20 से 25 रुपये किलो बिकने वाला अदरक आजकल 80 से 120 रुपए किलो तक बिक रहा है. ऐसे में किसानों का खरीफ सीजन अच्छा जाने की उम्मीद है.  


दरअसल सिरमौर जिले में लगभग आधी सदी से अदरक मुख्य नगदी फसल के तौर पर उगाया जाता है. यहां किसानों के अधिकतर परिवारों की आजीविका का मुख्य कारण अदरक है. पिछले कुछ वर्षों से दाम गिरने के कारण और अदरक को रोग लगने के कारण किसान अदरक की खेती से मुंह मोड़ रहे थे, लेकिन अच्छे दाम मिलने के चलते अब अधिकतर किसान फिर से अदरक उगाने लगे हैं. 


यहां गौरतलब यह भी है कि गुणवत्ता और स्वाद के हिसाब से सिरमौर का अदरक एशिया भर में अव्वल है और विदेशों में भी सिरमौर के अदरक और सोंठ की खासी मांग रहती है. मगर बावजूद इसके अदरक के विपणन की अभी तक सरकारी व्यवस्था नहीं हो पाई है. न ही अदरक को समर्थन मूल्य मिल पाया है. ऐसे में किसान बिचौलियों के हाथों लूटने को मजबूर है. फसल का जो लाभ किसानों को मिल सकता था वह बिचौलियों और आढ़तियों की जेब में जा रहा है. लिहाजा किसान बार-बार फसल को समर्थन मूल्य घोषित करने और अदरक की खरीद की सरकारी व्यवस्था करने की मांग उठा रहे हैं.