हिमाचल प्रदेश में 3 निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे का मामला लटका
Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों कांग्रेस के 3 निर्दलीय विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था. इसके बाद विधायकों ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर उनका इस्तीफा हाईकोर्ट से स्वीकार किए जाने की प्रार्थना की थी.
समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश के 3 निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे का मामला लटक गया है. हाईकोर्ट ने मामले को लेकर 30 अप्रैल को बहस पूरी होने पर फैसला सुरक्षित रखा था, जिस पर आज हाईकोर्ट की डबल बैंच मुख्य न्यायाधीश एमएस राम चंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की अदालत ने फैसला सुनाया. दोनों जजों ने इस मामले को लेकर अलग-अलग मत दिए हैं, जिस पर अब मामले को तीसरे जज की राय के लिए रैफर किया गया है, जिनकी राय के बाद ही फैसला हो पाएगा.
हाईकोर्ट के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने बताया कि निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे को लेकर मुख्य न्यायाधीश एमएस राम चंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ के अलग-अलग मत हैं. ऐसी स्थिति में अब इस मामले में तीसरे जज की राय पर फैसला निर्भर करता है. इस मामले को लेकर न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ का मत था कि हाईकोर्ट स्पीकर को फैसला सुनाने के लिए निर्देश दे सकता है जबकि मुख्य न्यायाधीश एमएस राम चंद्र राव का कहना था कि स्पीकर संवैधानिक पद पर हैं. ऐसे में हाईकोर्ट स्पीकर को निर्देश नहीं दे सकता है. अलग मत होने के चलते अब तीसरे जज की राय पर फैसला निर्भर करेगा.
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एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने कहा कि तीनों निर्दलीय विधायकों ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर उनका इस्तीफा हाईकोर्ट से स्वीकार किए जाने की प्रार्थना की थी, जिस पर उच्च न्यायालय की डिवीजन बैंच ने इस याचिका को एकमत से खारिज कर दिया है और कहा है कि इस पर फैसला हाईकोर्ट नहीं कर सकता. यह विधानसभा अध्यक्ष का क्षेत्राधिकार है.
इस मामले के अनुसार, देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह चम्बयाल, नालागढ़ से निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर और हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा ने विधानसभा की सदस्यता से 22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष और सचिव को अपने इस्तीफे सौंपे थे. इस्तीफों की एक-एक प्रति राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को भी दी थी. राज्यपाल ने भी इस्तीफों की प्रतियां विधानसभा अध्यक्ष को भेज दी थीं. विधानसभा अध्यक्ष ने इनके इस्तीफे मंजूर नहीं किए थे, जिसके बाद निर्दलीय विधायकों ने हाईकोर्ट में मामले को चुनौती दी थी.
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