Himachal BJP Protest: हिमाचल प्रदेश के शिमला में भाजपा द्वारा आज यानी सोमवार को जनविरोधी कांग्रेस सरकार के खिलाफ विशाल धरना-प्रदर्शन किया गया. बीजेपी ने राज्य सरकार के खिलाफ उनके 10 महीने के नाकामयाबी को बताते हुए ये विरोध किया. 


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धरने के अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने की उनके साथ प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, सुरेश कश्यप, सिकंदर कुमार, इंदु गोस्वामी, बिहारी लाल शर्मा, त्रिलोक कपूर, सभी विधायक और प्रदेश पाधिकारी उपस्थित रहे. 


भाजपा प्रतिपक्ष नेता जयराम ठाकुर ने कहा चुनाव के समय झूठे वादों और गारंटियों से जनता को गुमराह करके सत्ता में आई कांग्रेस का असली चेहरा 9 महीनों में ही बेनकाब हो गया है.  इस सरकार का न तो कोई विजन है और न ही कोई प्राथमिकता.  


इस सरकार को जनता की पीड़ा का भी कोई अहसास या परवाह नहीं है. यहां तक की प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए भी सरकार में कोई तालमेल नजर नहीं आया.  मुख्यमंत्री, मंत्री और कांग्रेस नेता अलग-अलग राग अलापते रहे. आपदा पीड़ितों की सही मायनों में मदद करने के बजाए कांग्रेस सरकार का फोकस इस बात पर रहा कि त्रासदी की वजह से राजनीतिक नुकसान से कैसे बचा जाए. 


कोई भी सरकार देश या प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए बनती है, लेकिन हिमाचल में कांग्रेस की सरकार इस पर्वतीय राज्य को पीछे धकेलने का काम कर रही है. आपदा से उबरने के लिए केंद्र से भरपूर मदद मिलने के बावजूद अहसान फरामोश सत्ता पक्ष केंद्र सरकार पर हिमाचल की अनदेखी के झूठे आरोप लगा रहा है. 


शिमला में आक्रोश रैली में पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि 9 महीने पहले सत्ता में आई कांग्रेस ने एक भी फैसला जनहित में नहीं लिया. उसने कदम-कदम पर जनविरोधी फैसले लिए. भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट नहीं निकाले जा रहे हैं. कोरोना के समय नियुक्त किए गए लगभग 1800 कर्मचारियों को नौकरी से हटाने के नोटिस जारी हो चुके हैं. इसी तरह पीडब्ल्यूडी और आईपीएच समेत कई अन्य विभागों और संस्थानों से हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों को घर भेज दिया गया. 


इसके चलते प्रदेश में अराजकता का माहौल है. सीमा शुल्क, टोल बैरियरों पर उठ रहे विवादों से प्रदेश के टैक्सी व ट्रक चालकों तथा औद्योगिक घरानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. बिगड़ती कानून व्यवस्था मौजूदा सरकार की एक बड़ी नाकामी है.  प्रदेश में कानून व्यवस्था का पूरी तरह से जनाजा निकल गया है.  आलम यह है कि असामाजिक तत्व बेखौफ होकर दिन-दिहाड़े आपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. जिससे देवभूमि हिमाचल की छवि दागदार हो रही है. 


कांग्रेस सरकार के राज में प्रदेश की महिलाओं से हो रही निर्लज्जता और घिनौनी हरकतें प्रदेश को शर्मसार कर रही हैं. इसका एक जीता-जागता उदाहरण मुख्यमंत्री के गृह जिला में भी सामने आया है. कांग्रेस शासनकाल में आए दिन कानून की धज्जियां सरेआम उड़ रही हैं. 


पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार के समय लोगों की मांग और जरूरत के आधार पर खोले गए 1,000 से अधिक संस्थानों को इस सरकार ने राजनीतिक द्वेष और बदले की भावना से काम करते हुए बिना सोचे-समझे बंद कर दिया.  अब उन्हीं को दोबारा खोलने की घोषणा करके यह सरकार अपनी जग हसाई करवा रही है. 


हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि लोगों और कर्मचारियों को 9 महीने में ही सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरना पड़ रहा है. भाजपा की आक्रोश रैली से पहले से ही सरकार के खिलाफ आए दिन जमकर नारेबाजी हो रही है.  सरकार के भेदभावपूर्ण कार्यों, मंहगाई, बिगड़ती कानून व्यवस्था, महिलाओं पर अत्याचार तथा आपदा राहत में बंदरबांट के विरोध और पहली केबिनेट में एक लाख युवाओं को रोजगार देने, महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपये देने, 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने तथा किसानों से गोबर खरीदने जैसे वादों और गारंटियों का स्मरण करवाने के लिए भाजपा ने आक्रोश रैली के माध्यम से सभी वर्गों की आवाज बुलंद की है. 


विधानसभा का घेराव करके सरकार की कार गुजारियों का पोस्टमार्टम करके उसकी रिपोर्ट जनता के समक्ष रखी गई है. सरकार को चुनाव में किए गए वादों और गारंटियों का हिसाब जनता को देना ही होगा.  भाजपा चुप नहीं बैठेगी.  वह सशक्त विपक्ष की भूमिका ईमानदारी से निभाएगी. यदि सरकार ने अपने रवैये में सुधार करने के साथ ही जनता को दी गई गारंटियों को पूरा नहीं किया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.