Bilaspur News: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के बिलासपुर दौरे को लेकर अब बयानबाजी का दौर गरमा गया है. जी हां 29 अक्टूबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री बिलासपुर कर एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे थे, जहां उन्होंने राज्य की पहली डिजिटल लाइब्रेरी व विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो कार्यालय भवन का उदघाटन किया तो साथ ही मंडी भराड़ी स्थित गोविंद सागर झील में वाटर स्पोर्ट्स एंड टूरिज्म एक्टिविटी का शुभारंभ भी किया था. 


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वहीं इस दौरान मुख्यमंत्री द्वारा हिमाचल प्रदेश में कोई भी वित्तीय संकट ना होने का दावा करते हुए भाजपा नेताओं द्वारा गलत बयानबाजी करने की बात कही थी. वहीं सीएम सुखविंदर सिंह ने कहा कि अगर भाजपा नेताओं को प्रदेश में वित्तीय संकट दिखाई दे रहा है तो केंद्रीय मंत्री व भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा इस बात का पता कर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण व आरबीआई से जिससे प्रदेश की ट्रेजरी जुड़ी हुई है उनसे पता कर सकते थे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है और प्रदेश में आये वित्तीय संकट को एक वर्ष पूर्व प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने खत्म करने काम किया है.


साथ ही अपनी मजबूत नीतियों से 2,200 करोड़ रुपये का राजस्व कमा कर व दूसरे वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्जकर 2,400 से 2,600 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्ति की पूरी उम्मीद है, जिसे जनता पर खर्च किया जाएगा. वहीं मुख्यमंत्री के वित्तीय संकट के बयान पर बिलासपुर सदर विधायक त्रिलोक जमवाल ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि त्योहारी सीजन पर मुख्यमंत्री बिलासपुर दौरे पर आए और बिना किसी सौगात के चले गए. 


साथ ही विधायक त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा बिलासपुर में पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में तकरीबन पूरी हो चुकी योजनाओं का उद्घाटन करके चले गए और किसी भी नई योजना की आधारशिला तक नहीं रखी है. साथ ही त्रिलोक जम्वाल ने मुख्यमंत्री से पूछा कि अगर प्रदेश में वित्तीय संकट नहीं है तो रेलवे प्रोजेक्ट सहित गोविंद सागर झील से मंदिरों को उठाने का 1400 करोड़ के प्रोजेक्ट में प्रदेश का हिस्सा सरकार क्यों नहीं दे पा रही है. साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल में दो लाख की जगह केवल 20 हजार सरकारी नौकरियां देने की बात कहना, पदों को समाप्त करना, टॉयलेट टैक्स व बस किराए के नाम पर लोगों से पैसा वसूलना और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का 100 रुपये मासिक बिल जैसे कदम उठाना साफ करता है कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति कैसी है. 


ऐसे में इसके लिए केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण से पूछने की जरूरत नहीं बल्कि सरकार के निर्णयों से यह पता चल जाता है कि प्रदेश के वित्तीय हालात ठीक नहीं है.


रिपोर्ट- विजय भारद्वाज, बिलासपुर