Himachal Monsoon Session, संदीप सिंह/शिमला: हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट को लेकर बवाल मचा हुआ है. कर्मचारियों को वेतन व पेंशनरों को पेंशन नहीं मिली ये मामला आज विधानसभा सदन में पॉइंट ऑफ ऑर्डर के तहत विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने उठाया. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आर्थिक आपातकाल जैसे हालात पैदा हो गए हैं, जिसको लेकर कांग्रेस सरकार और कांग्रेस की गारंटियां सीधे तौर पर जिम्मेदार है. सरकार इसको लेकर स्थिति स्पष्ट करें. 


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सीएम कभी कहते हैं आर्थिक संकट है और कभी कहते हैं नहीं है. सीएम को जानकारी ही नहीं है कि हो क्या रहा है.  कर्मचारियों के वेतन के लिए सरकार कर्ज पर कर्ज ले रही है और केंद्र पर निर्भर हो गई है. आने वाले दिनों में स्थिति और विकराल हो जायेगी. 


ऐसे में हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र में बुधवार को सीएम सुक्खू ने सदन संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने सरकारी कर्मचारियों को वेतन और पेंशनर्स को लेकर अपनी बात रखी.



सदन को संबोधित करते हुए सीएम सुक्खू ने कहा कि प्रदेश के कर्मचारियों को इस महीने 5 सितंबर को उनकी सैलरी और पेंशनर्स को  10 सितबंर को उनके पेंशन मिलेंगे. सीएम ने कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति जब तक ठीक नहीं हो जाती तब तक कर्मचारियों को पेंशनर्स को क्रमशः 5 व 10 तारीख को ही सैलरी और पेंशन दी जाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा या निर्णय रन पर खर्च होने वाले ब्याज से बचने के लिए लिया गया है. इससे सालाना 36 करोड़ की बचत होगी. 


उन्होंने कहा सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कर्ज पर ब्याज से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया. राज्य में पहली तारीख को सैलरी पेंशन दी जाती रही जबकि भारत सरकार से हमें 6 तारीख को रिवेन्यू डिफिसिट ग्रांट और 10 तारीख को केंद्र से शेयर इंसेंटिव टैक्स आता है.



इस वजह से हमें 5 दिन के लिए हर महीने ऋण लेना पड़ता है. हर महीने उसका 7.50 प्रतिशत ब्याज चुकाने पर 3 करोड़ ब्याज लगता है. इससे ब्याज का अनावश्यक बोझ कम होगा. मुख्यमंत्री ने कहा सैलरी पर हर महीने 1200 करोड़ खर्च और पेंशन पर 800 करोड़ खर्च होता है. उन्होंने कहा कि हर महीने 2000 करोड़ कर्मचारी और पेंशनर रुपये देते हैं.