समीक्षा राणा/ शिमला : IGMC Shimla : समय रहते कैंसर (cancer) की पहचान हो जाए तो इलाज मुश्किल नहीं होता, लेकिन ज्यादात्तर मामलों में मरीज तब अस्पताल पहुंचते हैं, जब कैंसर काफी बढ़ चुका होता है और उसका इलाज करना मुश्किल हो जाता है. इसका कारण यह है कि हिमाचल प्रदेश में अभी तक कैंसर का सटीक पता लगाने वाली मशीन नहीं है.


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ऐसे में मरीजों को मजबूर होकर पीजीआई जाना पड़ता है. जहां भीड़ होने की वजह से मरीजों को लंबी डेट दी जाती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब न तो मरीजों को कैंसर जांच के लिए पीजीआई जाने की जरूरत पड़ेगी और न ही उनकी जांच में देरी होगी. 


दरअसल इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (IGMC) कैंसर जांच के लिए नई पेट स्कैन (PET Scan) मशीन खरीदने जा रहा है. इसके लिए आईजीएमसी की रोगी कल्याण समिति की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में अप्रूवल मिल जाएगी. इसके बाद मशीन खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. दावा किया जा रहा है कि यह मशीन नए वित्त वर्ष में खरीद ली जाएगी. अभी तक प्रदेश में Positron Emission Tomography Scan मशीन नहीं है, जबकि इस मशीन की कैंसर अस्पताल में सबसे ज्यादा जरूरत है. 


इस प्रोसेस से पता जाएगा कहां है कैंसर


कैंसर मरीजों की जांच अब तक एमआरआई और सीटी स्कैन करवाकर की जा रही है, लेकिन इससे यह पता नहीं चलता कि शरीर में किस-किस जगह पर कैंसर है और न ही ये पता चल पाता कि यह कितना बढ़ गया है. जबकि पेट स्कैन से शरीर के छोटे से कैंसर का भी पता चल जाएगा. इसमें मरीज को एक विशेष ग्लूकोज के साथ रेडियोआइसोटोप का इंजेक्शन दिया जाता है.


यह दवा सिर्फ कैंसर कोशिकाओं में ही पहुंचती है. इन कोशिकाओं से पॉजिट्रॉन निकलते हैं, जिसे रेडियोएक्टिव आइसोटोप पकड़ लेता है. यही कैंसरग्रस्त कोशिकाएं होती हैं, जिनकी इमेज पूरी तरह साफ हो जाती है और पता चल जाता है कि कैंसर वाली कोशिकाएं किस अंग से सिग्नल दे रही हैं. ये कोशिकाएं ज्यादा ग्लूकोज लेती हैं और ऐसे में पकड़ में आती हैं. 


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हर साल दोगुना बढ़ रही मरीजों की संख्या


प्रदेश में हर साल कैंसर मरीजों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. प्रदेश के एक मात्र कैंसर अस्पताल आईजीएमसी में रोजाना 100 से ज्यादा कैंसर मरीज जांच के लिए आते हैं. बीते कुछ साल में मरीजों की संख्या डेढ़ से दो गुना बढ़ गई है. इसका एक कारण यह भी है कि समय पर कैंसर की सही जांच नहीं हो पाती.  क्योंकि आईजीएमसी में मशीन न होने के कारण मरीजों को पीजीआई भेजा जाता है. जहां मरीजों की संख्या ज्यादा होने की वजह से उन्हें लंबी डेट दी जाती है. अगर जांच हो भी जाती है तो रिपोर्ट मिलने में काफी देर हो जाती है. इसके अलावा पीजीआई में ज्यादा खर्च आने की वजह की कुछ मरीज तो वहां जाते ही नहीं है. लिहाजा आईजीएमसी में मशीन लगने से यहां के मरीजों को काफी राहत मिलेगी.
  
इन खास सुविधाओं पर भी होगी चर्चा


सोमवार को यानी कल आईजीएमसी में गवर्निंग काउंसिल की बैठक रखी गई है. इसकी अध्यक्षता स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल करेंगे. इसकी बैठक में नए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट को मंजूरी दी जाएगी. इस दौरान पेट स्कैन मशीन को खरीदने के लिए लिए बजट को भी अप्रूव किया जाएगा, ताकि जल्द से जल्द मशीन को खरीदा जा सके.


अभी मरीजों को फोटो स्टेट के लिए बाहर जाना पड़ता है. प्रशासन अब अस्पताल परिसर में ही नई फोटो स्टेट मशीन लगवाने की तैयारी कर रहा है. इसी तरह कोरोना वार्ड में मरीजों को चाय, खाना व अन्य सामान की खरीद भी अप्रूवल भी होगी. हालांकि अब भी खाना फ्री दिया जाता है, मगर अभी तक इसे अप्रूव नहीं किया गया है.