Himachal Weather Update: हिमाचल प्रदेश में मानसून ने इस बार प्रदेशभर में कहर बरपाया है. मानसून के कारण कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं तो कई लोग अपने घरों को अपने सामने टूटे हुए मलबे में तब्दील होते हुए देखा है. तो वहीं ताजा मामला रामपुर के गांव में जमीन धंसने का मामला सामने आया है. 


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इस पर हिमाचल प्रदेश सरकार में रिटायर इंजीनियर सुभाष वर्मा ने बताया कि सबसे जरूरी है कि भूकंपरोधी मकान बनाए जाए. ताकि वह भूकंप से ही नहीं बल्कि आपदा से भी बच सके. साथ ही फॉरेस्ट को सॉइल इरोजन बनाने के लिए व्यापक योजना हो, ताकि पानी को डायवर्ट कर सके. इसके अलावा सैकड़ों साल पुराने पेड़ काटकर नए पौधे लगाए जाएं. साथ ही कहा कि ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त हो. साथ ही कहा कि जहां बड़े स्तर के डैम, प्रोजेक्ट पर निर्माण हो रहा है. वहां वेस्ट सॉइल के लिए डिस्पोज करने का निर्धारित स्थान हो.


बता दें, राज्य में इस बार मानसून में 734 मिलीमीटर बारिश चाहिए जबकि 819  मिलीमीटर बारिश हुई. प्रदेश में भीषण तबाही का एक कारण हिमाचल में बदला मौसम भी है. जहां मानसून से पहले हुई बारिश भी शामिल है. 


मानसून आने से पहले ही प्रदेश में एक्सेस बारिश हो चुकी थी. मई में बारिश ने पिछले 36 साल का रिकार्ड तोड़ा है. प्रदेश में 1987 के बाद मई में रिकार्ड तोड़ बारिश हुई. इससे पहाड़ों की पकड़ ढीली पड़ी है और मानसून में भारी बारिश के कारण पहाड़ भरभराकर गिर रहे हैं.
 
मानसून सीजन में अब तक 163 लैंडस्लाइड की घटनाओं ने चल-चल संपत्ति के अलावा 398 लोगों की जान गई.  इसके अलावा 2,545 परिवार बेघर हुए है.  चल अचल संपति को अब तक का सबसे ज्यादा 8,660 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा है. वहीं, 10 हजार से ज्यादा मवेशी बह गए है. 


मौसम विभाग के वैज्ञानिक संदीप कुमार शर्मा ने कहा की मानसून के आने से पहले ही प्रदेश में एक्सेस में बारिश हो चुकी थी. इससे जमीन की खोई हुई नमी तो पूरी हो चुकी थी. वहीं, जमीन पानी से पूरी तरह से लबालब थी. मानसून में हुई बारिश के कारण जमीन में पानी और भर गया जिससे मिट्टी की पकड़ ढीली पड़ गई और प्रदेश में लैंडस्लाइड और फ्लैश फ्लड की घटनाएं हुई. प्रदेश में अप्रैल माह में सामान्य से 62% मई में 84%, जून में 20%, जुलाई में 71% और अगस्त में सामान्य बारिश हुई हैं.