Una News: हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना में आज प्रदेश के पेंशनर्स अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ जमकर अपना गुस्सा निकला. एमसी पार्क में एकत्रित हुए भारी संख्या में पेंशनरों ने अपनी मांगों को लेकर चर्चा की और प्रदेश सरकार को जल्द अपनी मांगे पूरी किए जाने की मांग की है.


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मीडिया से रूबरू होते हुए पेंशनरों ने जानकारी देते हुए बताया की पेंशनर्स कल्याण संघ हिमाचल प्रदेश लंबे समय से अपनी लंबित मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा है, लेकिन सरकार द्वारा अभी तक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है. पेंशनरों को उस समय उम्मीद की किरण दिखी जब 5 अक्टूबर 2023 को पेंशनरों की जे.सी.सी. बनाने और इसकी बैठक शीघ्र बुलाने का आश्वासन दिया, लेकिन हमारी सारी उम्मीदें तब धराशायी हो गईं जब अभी तक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकी और पेंशनरों को उनके जख्मों पर मरहम लगाने की बजाय 10 सितंबर को पेंशन लेने के लिए मजबूर किया गया.


खास तौर पर 01.01.2016 के बाद सेवानिवृत्त पेंशनर सबसे ज्यादा परेशान हैं क्योंकि वे आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. पेंशन संशोधन के संबंध में एजीएचपी की मंजूरी के बाद भी उन्हें अवकाश नकदीकरण, ग्रेच्युटी और कम्यूटेशन आदि की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है. 


पेंशनरों की संयुक्त परामर्शदात्री समिति का गठन किया जाए और इसकी बैठक शीघ्र बुलाई जाए. 01.01.2016 के बाद सेवानिवृत्त पेंशनरों के बकाए का भुगतान शीघ्र किया जाए. पेंशनरों के लंबे समय से लंबित भारी चिकित्सा बिलों के भुगतान के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया जाए. लंबे समय से लंबित 12% डीए की किश्तों सहित छठे वेतन आयोग के बकाए का भुगतान एकमुश्त किया जाए. 


कई पड़ोसी राज्यों की तर्ज पर कम्यूटेशन अवधि को 15 वर्ष से घटाकर 10 वर्ष 8 महीने किया जाए. पेंशनरों को 10वें दिन के बजाय हर महीने की पहली तारीख को पेंशन का भुगतान किया जाए. पेंशनरों ने मांग की है कि पेंशनर्स की लंबित मांगों पर शीघ्र विचार कर अनुकूल समाधान निकालें, क्योंकि यह मामला लंबे समय से लंबित है. अन्यथा प्रदेश के पेंशनर्स राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने के लिए बाध्य होंगे और इसके परिणामों के लिए सरकार जिम्मेदार होगी.


रिपोर्ट- राकेश मालही, ऊना