विपन कुमार/धर्मशाला: सी.एस.आई.आर हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में ट्यूलिप गार्डन की सुंदरता को निहारने के लिए बड़ी संख्या में आगंतुक पहुंचने लगे हैं. कश्मीर के बाद पालमपुर में देश का दूसरा ट्यूलिप गार्डन हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा विकसित किया गया है. यह ट्यूलिप गार्डन पूरी तरह स्वदेशी ट्यूलिप पौध से विकसित किया गया है और इसकी पौध लाहौल-स्पीति में तैयार की गई है.


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पालमपुर में लगाए गए 11 किस्म के करीब 50,000 ट्यूलिप बल्ब 
बता दें, हॉलैंड में यह पौधा बड़ी संख्या में पाया जाता है. इस फूल का गहरा रंग और सुंदर आकार लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. यह अपनी समरूपता के लिए विश्वभर में विख्यात है. इसकी एक या दो नहीं बल्कि कई खूबसूरत प्रजातियां होती हैं. सीएसआईआर आईएचबीटी संस्थान पालमपुर में 11 किस्म के करीब 50,000 ट्यूलिप बल्ब (पौधे) लगाए गए हैं. पिछले साल यहां लगभग 28,000 बल्ब (पौधे) लगाए गए थे, लेकिन इस साल यहां 50,000 के करीब बल्ब (पौधे) लगाए गए हैं जो आजकल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.


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किसानों की आमदनी में होती है वृद्धि
सी.एस.आई.आर- हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. भव्य भार्गव ने कहा कि देश में ट्यूलिप बल्ब का विदेशों से आयात किया जाता है. यहां ट्यूलिप बल्ब लगाने में बहुत समस्या होती थी, लेकिन संस्थान ने प्रदेश के लाहौल-स्पीति में पिछले 5 वर्षो में शोध कर ट्यूलिप के बल्ब यहां की जलवायु में तैयार कर सफलता हासिल की है. ट्यूलिप के फूलों की मांग अधिक रहती है, लेकिन किसान इनको अपने खेतों में लगाते हैं तो उनकी आमदनी में काफी वृद्धि होगी.


ट्यूलिप बल्ब को मल्टीप्लाई करने के लिए MCD के साथ चल रही चर्चा  
डॉ. भव्य भार्गव ने कहा कि ट्यूलिप गार्डन का यह दूसरा साल है. इस बार ट्यूलिप की 11 किस्मों के 50 हजार के करीब पौधे लगाए गए हैं. उन्होनें कहा कि इस बार जून माह में लेह में भी ट्यूलिप गार्डन को शुरू कर दिया जाएगा. यहां डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है. संस्थान देश में ऐसा विकसित मॉडल तैयार करना चाहता है, जिससे बाहर के देशों पर ट्यूलिप के लिए निर्भरता कम हो. उन्होनें कहा कि  संस्थान की न्यू दिल्ली मुनिसिपल कॉरपोरेशन के साथ ट्यूलिप बल्ब को मल्टीप्लाई करने के लिए चर्चा चल रही है. 


वहीं, टयूलिप गार्डन देखने आए पर्यटको ने कहा कि उन्हें यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है. पहले ट्यूलिप गार्डन को देखने के लिए श्रीनगर जाना पड़ता था, लेकिन अब यह हिमाचल में ही देखने को मिल जा रहा है.


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