अरविंदर सिं/हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश में आज से 'सरकार गांव के द्वार' कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है. इस कार्यक्रम के तहत आम लोगों की समस्याओं को सुना जाएगा साथ ही उनका मौके पर समाधान भी किया जाएगा. इसके साथ ही लोगों तक सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी पहुंचाया जाएगा. बता दें, इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नादौन विभानसभा की ग्राम पंचायत गोईस से किया है.  


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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने दौरे के दौरान कड़दोह (पनयाली) में कपाड़ा पुल का शिलान्यास करने के बाद फाहल में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन की आधारशिला रखी. साथ ही गांव बुधवीं में उठाऊ पेयजल योजना फाहल-कोटलू का शिलान्यास भी किया. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने सरकारी योजनाओं पर लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया. 


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वहीं, पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 1 साल में लाई गईं जनकल्याणकारी नीतियों के बारे में आम जनता को विस्तृत जानकारी देने के लिए प्रदेश सरकार के सभी मंत्री आज विभिन्न क्षेत्रों में जाकर कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदेश में आई आपदा के बावजूद जन कल्याण की विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं और आपदा प्रभावित परिवारों को सरकारी मैन्युअल में बदलाव कर राहत प्रदान करने का काम किया है. 


उन्होंने कहा कि हम पहली सरकार हैं जहां पुरानी पेंशन स्कीम लागू की गई है. प्रदेश में इस बाहर ऐतिहासिक आपदा आई, जिसे अभी तक अपने जीवनकाल में कभी नहीं देखा था. उन्होंने कहा कि हमने 4500 करोड़ का आपदा राहत पैकेज जारी किया और जिनके घर उजड़ गए थे उन घरों को बसाने के लिए कानून बदल दिया. इसके साथ ही डेढ़ लाख की जगह सात लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की गई.


वहीं, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर द्वारा 'सरकार गांव के द्वार' कार्यक्रम को लेकर की जा रही बयान बाजी पर मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार ने जन्माष्टमी कार्यक्रम पर लगभग 36 करोड़ रुपये खर्च किए थे जबकि सरकार इन कार्यक्रमों पर कोई भी पैसा नहीं खर्च कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस जनता की सेवा करने के लिए सत्ता सीन हुई है. यह जनता के लिए सेवा मंच है. उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की है.


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सीएम ने कहा कि गेस्ट फैकल्टी को गलत समझा जा रहा है. पहले इस पॉलिसी को समझना चाहिए. अगर एक घंटे के लिए बच्चों को पढ़ाना है तो टीचर बोलते हैं कि एक घंटे का पैसा कौन देगा, लेकिन अब उन्हें एक घंटा पढ़ाने के पैसे मिलेंगे. उन्होंने कहा कि अगर स्कूल में टीचर नहीं होता है तो इस पॉलिसी के आधार पर टीचर रखकर बच्चों की पढ़ाई सुचारू रखी जा सकती है. 


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