समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल पुलिस को 20 दिन बाद नया डीजीपी मिलेगा. पुलिस महानिदेश संजय कुंडू 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इसके बाद हिमाचल पुलिस का नया डीजीपी कौन होगा, इसे लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं. डीजीपी के पद पर ताजपोशी के लिए आईपीएस अधिकारी संजीव रंजन ओझा और श्याम भगत नेगी का नाम सबसे आगे चल रहा है.


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हिमाचल कैडर के पुलिस अधिकारियों की बात करें तो इनमें वरिष्ठतम पुलिस अधिकारी 1988 बैच के तपन कुमार डेका हैं. डीजीपी संजय कुंडू 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. डीजीपी संजय कुंडू 30 अप्रैल, 2024 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. तपन डेका केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और उच्च पद पर आसीन हैं. डीजीपी की रेस में आईपीएस अधिकारी संजीव रंजन ओझा और श्याम भगत नेगी का नाम सबसे आगे है. संजीव रंजन ओझा 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं.


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1989 बैच के IPS संजय रंजन ओझा भी संजय कुंडू के बैच के ही हैं. वह मई 2025 में रिटायर होंगे. एसआर ओझा मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं. ओझा के बाद सीनियोरिटी में 1990 बैच के श्याम भगत नेगी हैं, लेकिन नेगी अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. उनके प्रदेश लौटने की कम संभावनाएं हैं. श्याम भगत नेगी के बाद 1991 बैच के डॉ. अतुल वर्मा और 1993 बैच के अनुराग गर्ग हैं.


वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौट चुके हैं और संजय कुंडू के बाद वरिष्ठता में सबसे आगे हैं. ओझा के बाद 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी श्याम भगत नेगी हैं, जो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर ही हैं. उनके बाद 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी अतुल वर्मा हैं. वह भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौट चुके हैं. इसके बाद 1993 बैच के अनुराग गर्ग हैं. इसी बैच में अशोक तिवारी और ऋत्विक रुद्र आते हैं. 


1994 बैच के आईपीएस अधिकारी राकेश अग्रवाल भी केंद्र से लौट चुके हैं. इसी बैच के अगले अधिकारी जहूर हैदर जैदी हैं. जैदी के बाद 1995 बैच में एसपी सिंह और एन वेणुगोपाल हैं. उनके बाद 1996 बैच में सतवंत अटवाल त्रिवेदी, अजय कुमार यादव और अभिषेक त्रिवेदी हैं. डीजीपी की तैनाती के लिए 30 वर्ष का सेवाकाल जरूरी है.


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नए DGP का फैसला मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर निर्भर करेगा. अमूमन सत्ता परिवर्तन होते ही प्रमुख पदों पर सबसे पहले अधिकारी बदले जाते हैं, लेकिन CM सुक्खू ने DGP कुंडू को नहीं बदला. इसका पार्टी के लोगों ने अंदरखाते विरोध भी किया, क्योंकि कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए संजय कुंडू को पुलिस कॉन्स्टेबल पेपर लीक का मास्टर माइंड बताया था और उन्हें पद से हटाने के लिए राजभवन के बाहर धरना भी दिया था, लेकिन जब कांग्रेस सत्ता में आई तो DGP को नहीं हटाया गया.


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