Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में साल 2023-24 के बिजली की नई रेट का तय होना भविष्य में सरकारी उपदान पर टिक गया है. ऐसे में सरकार और बिजली बोर्ड प्रबंधन के बीच उपदान राशि तय करने के लिए चर्चा शुरू हो गई है.  नई रेट विधानसभा के बजट सत्र में घोषित होगी.  इसके बाद विद्युत नियामक आयोग नई दरें तय करेगा. 


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बता दें, बोर्ड ने 90 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली महंगी करने का प्रस्ताव आयोग को भेजा है. ऐसी स्थिति में अगर राज्य सरकार से उपदान कम मिलता है तो अप्रैल से बिजली महंगी हो सकती है और लोगों को महंगी बिजली बिल का झटका लग सकता है. 


पहले की भाजपा सरकार ने 125 यूनिट तक बिजली फ्री कर दी थी.  इसके एवज में प्रतिमाह 66 करोड़ उपदान राशि अलग से दी गई.  ऐसे में अगर 125 यूनिट फ्री बिजली की योजना जारी रखनी है तो करीब 800 करोड़ के उपदान की जरूरत है. सरकार चाहती है कि 125 यूनिट से अधिक बिजली दर न बढ़ाई जाए तो करीब 1100 करोड़ के उपदान की बोर्ड को जरूरत होगी. ऐसे में इस रुपये से कम उपदान मिलने की स्थिति में बोर्ड को घाटा होगा. 


ऐसे में अप्रैल से औद्योगिक और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का झटका लगना तय है. इनके लिए बिजली दरें बढ़ाने का काम शुरू हो गया है. आयोग ने 4 मार्च को जन सुनवाई रखी है. वहीं  20 फरवरी तक उपभोक्ताओं से नई दरों को लेकर सुझाव भी मांगी गई है. 


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वहीं, बोर्ड ने 928 करोड़ के घाटे का हवाला देकर आयोग के सामने याचिका दायर कर खर्चे पूरे करने के लिए वर्ष 2023-24 के लिए 7,129.99 करोड़ रुपये की जरूरत बताई है.  साथ ही 90 पैसे प्रति यूनिट दरें बढ़ाने का प्रस्ताव भी आयोग को दिया है.  ऐसे में प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 300 यूनिट बिजली फ्री मिलने के आसार कम ही हैं.  


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