भूषण शर्मा/नूरपुर: हिमाचल प्रदेश में नूरपूर के प्रसिद्ध प्राचीन नागनी माता मंदिर में श्रावण मास से शुरू हुए मेलों का आज समापन हो गया. यहां हर साल नागनी माता के नौ मेलों का आयोजन होता है, जिसमें एक मेले को जिला स्तर पर मनाया जाता है. यहां हर साल मेलों के दौरान हजारों लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. 


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इन मेलों के दौरान माता नागनी सेवादल पिछले कई वर्षों से यहां माता के दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को हर सुविधा मुहैया करवाता है. इसके साथ ही मंदिर की सेवा में हर शनिवार को अपनी सेवाएं देता है. इतना ही नहीं नौवें मेले के दौरान एक विशाल भंडारा भी करवाया जाता है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां माता रानी के धर पर लगे शक्कर और पवित्र जल के लेप को सर्प के काटे हुए व्यक्ति को लगाया जाए तो सर्प का जहर खत्म हो जाता है. श्रद्धालु यहां से माता की शक्कर और पवित्र जल अपने घरों को लेकर जाते हैं.


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नागनी माता सेवादल सदस्य अंग्रेज सिंह ने बताया कि श्रावण मास के जेठे शनिवार से माता नागनी के मेलों की शुरुआत होती है. यहां नौ मेले लगते हैं, जिनका आयोजन श्रावण मास के हर शनिवार को होता हैं. नागनी सेवादल सदस्य इन मेलों के दौरान हर शुक्रवार को रात को माता के मंदिर आ जाते हैं. शनिवार को मेले के दौरान हर सदस्य अपनी-अपनी सेवाएं देता है.


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नागनी सेवादल के सदस्य यहां मेलों के दौरान श्रद्धालुओं की दर्शनों के लिए लाइन लगवाना, श्रद्धालुओं को पानी की सेवा, उनके जूते चप्पलों को रखना, माता के दर पर सफ़ाई रखना इस प्रकार की कई सेवाएं देते हैं. आज नागनी माता का नौंवा मेला था. इसी मेले से नागनी माता के मेले समाप्त हो जाएंगे. हालांकि यहां लोगों का आना साल भर लगा रहता है. इन नौ मेले के बाद समापन पर माता नागनी सेवादल एक विशाल भंडारे का आयोजन कर रहा है. यह भंडारा माता नागनी सेवादल पिछले कई वर्षों से नौ मेले के दौरान करवाती आ रही है.