Nurpur News: हिमाचल के नूरपुर में पहाड़ दरकने से क्षेत्र में तबाही, मलबे में समाए दर्जन भर मकान
Nurpur News in Hindi: हिमाचल के ज्वाली विधानसभा के अंतर्गत आती न्यांगल पंचायत में एक अलग ही तरह की तबाही नजर आ रही है. जहां, पहाड़ दरकने से भयंकर नुकसान हुआ है.
Nurpur Landslide: इस साल हुई भारी बरसात से हिमाचल प्रदेश में भारी तबाही हुई है. जहां ऊपरी क्षेत्रों में बाढ़-भूस्खलन से भारी तबाही हुई है. वहीं निचले क्षेत्रों में पहाड़ों से आए भारी मात्रा में पानी की आवक ने भयानक मंजर दिखाया है.
वहीं ज्वाली विधानसभा के अंतर्गत आती न्यांगल पंचायत में एक अलग ही तरह की तबाही नजर आ रही है. जहां पर एक से डेढ़ किलोमीटर के दायरे में पूरा पहाड़ ही खिसक रहा है. यह पहाड़ धीरे-धीरे सुरसा के मुंह की तरह सारे क्षेत्र को लील रहा है.
अभी तक इस पहाड़ से आ रही तबाही में 12 घर इसके आगोश में समा चुके है. धीरे-धीरे फैल रहे इस मलबे में जहां दर्जन भर घर अपना अस्तित्व खो चुके है. वहीं अभी और कितने घर इसके आगोश में जाएंगे यह सवाल हर किसी को विचलित कर रहा है, क्योंकि लगातार यह पहाड़ मैदानी क्षेत्र की ओर जा रहा है और कहां जाकर रुकेगा यह कोई नहीं जानता.
जहां अपना आशियाना गंवा चुके लोग मरण स्थिति में है वहीं जिनके घर इस भूस्खलन की चपेट में आने की कगार में है. वो बेबसी से अपने सम्पूर्ण जीवन की मेहनत से बनाये घर-घौंसलों को मलियामेट होने के गवाह बन रहे है. प्रकृति की यह ऐसी तबाही है, जिसमें औद्योगिकी और प्रगति के क्षेत्र में डींगे हांकने वाला इंसान बौना साबित हो रहा है. जहां इंसान के बनाए समस्त फॉर्मूले फेल हो रहे है.
ज्ञात रहे कि दस साल पहले अक्टूबर माह में भी इस पहाड़ी का दरकना शुरू हुआ था और उस दौरान ना तो बरसात का मौसम था और ना ही उस दिन कोई बारिश हुई थी. नीले आकाश के नीचे इस पहाड़ी ने जब दस साल पहले खिसकना शुरू किया तो उस दौरान भी कई घर इसकी चपेट में आये थे, लेकिन उसके बाद दस साल तक यह सिलसिला रुक रहा और स्थानीय लोग भी यह सोचकर निश्चिंत हो गए कि शायद अब यह तबाही रुक गई है लेकिन आज फिर से एक बार यह पहाड़ तबाही बनकर इन लोगों पर टूटा है.
शासन-प्रशासन भी मौके पर पहुंच रहा है और राहत का मलहम देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहा है. इससे ज्यादा प्रशासन के हाथ में है भी कुछ नहीं. इस तबाही में अपना सब कुछ गंवा चुके प्रभावितों का कहना है कि सरकार उन्हें कहीं अलग स्थान पर जमीन मुहैया कराए और उनके आशियाने बनाने में आर्थिक मदद करे. यह वो परिवार है जो मात्र दिहाड़े लगाकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं और आज यह अपना सब कुछ गंवा चुके है.
एसडीएम ज्वाली महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जो घर गिर चुके है और जो भूस्खलन की चपेट में आने की कगार में है उनको खाली करवा दिया गया है और इनके रहने खाने की व्यवस्था सरकारी स्कूल में की गई है.