हिमाचल प्रदेश में ट्राउट मछली पकड़ने पर 4 महीने का लगा प्रतिबंध, निर्देशों की अवहेलना पर होगी कड़ी कार्यवाही
Himachal News: हिमाचल प्रदेश के ठंडे पानी वाली झीलों व नदियों में ट्राउट मछली आखेट पर चार माह के लिए लगा प्रतिबंध, मछली प्रजनन को बढ़वा देने व प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण के चलते 28 फ़रवरी 2025 तक प्रतिबंध लगाया गया है और निगरानी बल गश्त कर मछली के अवैध शिकार पर पैनी नजर रखी जाएगी.
Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के ठंडे पानी वाले क्षेत्रों में ट्राउट मछली के प्रजनन को बढ़ावा देने और प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण के लिए चार महीने तक ट्राउट मछली पकड़ने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लागू किया गया है. वहीं इस समयावधि के दौरान मत्स्य विभाग ने ट्राउट जल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष व्यवस्था की है, जिसके मद्देनजर इन जल क्षेत्रों में गश्त करने के लिए एक निगरानी बल भी तैनात किया गया है, साथ ही इन ठंडे क्षेत्रों में काम करने वाले विभागीय कर्मचारियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गई हैं.
वहीं हिमाचल प्रदेश मत्स्य पालन अधिनियम 2020 के अनुसार, ट्राउट मछली पकड़ने पर यह प्रतिबंध प्रदेशभर में लगभग 600 किलोमीटर प्रमुख नदियों और उनकी सहायक नदियों पर लागू होता है, जिसमें शिमला जिले में पब्बर नदी, कुल्लू जिले में ब्यास, सरवरी, पार्वती, गडसा और सैंज नदियां, मंडी और कांगड़ा जिलों में उहल नदी और चंबा जिले में भांडल नदी शामिल हैं.
गौरतलब है कि पिछले साल विभाग के आठ ट्राउट फार्मों ने 1.5576 मिलियन ट्राउट बीज का उत्पादन किया गया था, इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र के ट्राउट किसानों ने 1,388.50 मीट्रिक टन ट्राउट मछली का उत्पादन किया, जिसका बाजार मूल्य 76.36 करोड़ रुपये है. वहीं वर्तमान समय में कुल 1,442 रेसवे के माध्यम से, कई ट्राउट किसान अपने परिवारों के लिए आजीविका कमा रहे हैं, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान मिल रहा है.
इस बात की जानकारी देते हुए मत्स्य निदेशालय हिमाचल प्रदेश के निदेशक विवेक चंदेल ने कहा कि ट्राउट मछली के प्राकृतिक प्रजनन काल के दौरान संरक्षण के लिए यह प्रतिबंध आवश्यक है, जिससे जलाशयों में प्राकृतिक बीज संग्रह की अनुमति मिल सके. वहीं 1 नवंबर 2024 से 28 फरवरी 2025 तक चार महीने का यह प्रतिबंध हिमाचल प्रदेश के मत्स्य संसाधनों के दीर्घकालिक संरक्षण को सुनिश्चित करेगा और राज्य में ट्राउट मछली उत्पादन को बढ़ावा देगा. साथ ही उन्होंने कहा कि पर्यटकों और मछली पकड़ने के शौकीनों को इस प्रतिबंध के बारे में सूचित करने के लिए विभिन्न माध्यमों से जागरूकता फैलाई जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अनजाने में ट्राउट मछली पकड़ने की घटना न हो सके. इसके अलावा जागरूकता अभियान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना भी होगा कि पर्यटक हिमाचल प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों के प्रति सचेत रहें.
वहीं विवेक चंदेल ने कहा कि इन चार माह में बर्फीले ठंडे इलाकों में जहां नदियों में ट्राउट का उत्पादन होता है वहां मछली पकड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा, जबकि प्रदेश के निजी व सरकारी ट्राउट फर्मों पर ट्राउट बिक्री पर कोई भी प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, ट्राउट बिक्री पहले की तरह ही जारी रहेगी. साथ ही उन्होंने बताया कि ट्राउट मछली पकड़ने पर लगे प्रतिबंध के दौरान अगर कोई इसकी अवहेलना करता हुआ पाया जाता है तो मत्स्य पालन अधिनियिम के तहत उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.