Himachal Election: हिमाचल में 1985 से 2017 तक सत्ता बदलने का रहा ट्रेंड, क्या बदलेगा रिवाज?
Himachal Election Voting: हिमाचल प्रदेश (Himachal Voting) में शनिवार को सुबह से मतदान की प्रक्रिया हुई. 68 विधानसभा सीटों पर जनता ने जमकर वोट किया.
Himachal Pradesh Vidhansabha Election Voting: हिमाचल प्रदेश (Himachal Voting) में शनिवार को सुबह से मतदान की प्रक्रिया हुई. 68 विधानसभा सीटों पर जनता ने जमकर वोट किया. अब जनता का प्यार किस पार्टी को मिलेगा यह तो 8 दिसंबर को ही पता चलेगा, लेकिन कहीं ना कहीं सबसे बड़ा सवाल हर किसी के मन में है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार रिवाज बदलेगा या फिर दशकों से चली आ रही परंपरा कायम रहेगी. अब इसका फैसला तो प्रदेश की 55,92,828 मतदाता के हाथ में ही है.
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1985 से साल 2017 तक 37 साल से प्रदेश में हर पांच साल पर सत्ता बदलती आई है. ऐसे में एक ओर जहां डबल इंजन की सरकार प्रदेश में रिवाज बदलने की बात कह रही है, तो वहीं कांग्रेस ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) से सत्ता में लंबे समय से चली आ रही परंपरा बरकरार रहने की बात कह रही है.
इतना तो साफ है कि इस बार के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच आमना-सामना है. आम आदमी पार्टी चुनाव आते-आते गायब हो गई है. ऐसे में यह मुकाबला साफ तौर पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच है.
बता दें, 1985 के चुनावों में कांग्रेस ने 68 सीटों में से 58 सीटें जीती थी. जबकि बीजेपी ने 7 सीटें जीती थी. कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह को हिमाचल के रूप में नियुक्त किया.
वहीं, 1990 में जनता ने सत्ता बदल दी. बीजेपी ने 46 सीटें जीतकर लोकप्रिय जनादेश जीता और शांता कुमार को बीजेपी ने सीएम बनाया.
इसके बाद 1993 के चुनावों में जनता ने फिर से सरकार बदल दी. कांग्रेस ने 52 सीटें जीतीं और वीरभद्र सिंह को दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया.
वहीं, 1998 में, हिमाचल कांग्रेस और बीजेपी ने समान संख्या में सीटें जीतीं, लेकिन बीजेपी ने हिमाचल विकास कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार बना ली और प्रेम कुमार धूमल सीएम बने.
इसी तरह 2003 में विधानसभा चुनाव हुए कांग्रेस ने जीत हासिल की और फिर से वीरभद्र सिंह को प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना गया.
साल 2007 की बात करें, तो बीजेपी ने 41 सीटें जीतकर सरकार बनाई और प्रेम कुमार धूमल को फिर से राज्य का सीएम बनाया गया. काग्रेंस ने 23 सीटें जीती थीं.
इसके बाद 2012 में फिर से वही परंपरा चली और कांग्रेस ने 36 सीटों पर कब्जा कर सरकार में वापसी की और वीरभद्र सिंह को सीएम बनाया गया.
वहीं, साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 68 में से 44 सीटों पर जीत दर्ज की और जयराम ठाकुर राज्य के मुख्यमंत्री बने.
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